वेब सीरीज रिव्यू : सकारात्मकता ही कोरोना से पॉज़ हुई जिंदगी के नए सफर को अनपॉज्ड रख सकती है ! 

पांच हिंदी शॉर्ट फिल्मों के इस संकलन की हर कहानी व्यूअर्स कोरोना के बीच आई परेशानियों का एहसास कराती है। लेकिन ख़ास बात है कि सभी कहानियों में सकारात्मकता भी है नए सफर पर निकलने की आकांक्षाओं के साथ ! 

अमेजन प्राइम पर स्ट्रीम हो रही इस सीरीज के सीजन २ में तवज्जो है पॉज बटन को अनपॉज कर नई शुरुआत करने की ! इस नए सफर के तारतम्य में पहली स्वीट सी शॉर्ट फिल्म है "द कपल " और शहरी व्यूअर्स शायद इसी स्टोरी से सबसे ज्यादा कनेक्ट करेंगे। नूपुर अस्थाना द्वारा निर्देशित यह फिल्म वर्क फ्रॉम होम करने वाले कपल डिप्पी और अक्कू की कहानी है। अक्कू एक बड़ी कंपनी में काम करती है, आत्मविश्वास से सराबोर है कि उसने खूब परफॉर्म किया है और उसका प्रमोशन विथ बोनस पक्का है  मगर पैंडेमिक का हवाला देकर उसे नौकरी से निकाल दिया जाता है। अक्कू की नौकरी जाने का असर उस कपल के रिश्ते पर पड़ने लगता है, इगो क्लैसेज़ होते हैं,  फ्रस्ट्रेशन बाहर आने लगती है, प्रोफेशनल सेटबैक उनकी पर्सनल लाइफ में उथल पुथल मचा देता है  मगर गिव अप की नौबत आती उसके पहले ही एक छोटी सी कोशिश उनके बीच की सभी खाइयों को पाट देती है। मॉरल ऑफ़ द स्टोरी बोले तो  एक छोटी कोशिश से बड़े-बड़े मसले हल हो सकते हैं।  

प्रियांशु और धन्वन्तरि

प्रियांशु पेनयुली और श्रेया धनवंतरी लीड रोल में हैं और दोनों ही मंझे हुए एक्टर हैं तो उसके अनुरूप ही उनका परफॉर्मेंस रहा है।  

सीरीज की दूसरी स्टोरी वॉर रूम है जिसमें संगीता वाघमारे के किरदार में धांसू एक्ट्रेस गीतांजलि कुलकर्णी है। फेमस कैडबरी फेम ऐड मेकर अयप्पा केएम की यह पहली फिल्म हैं।  संगीता  एक स्कूल टीचर है , जो कोविड-19 में लोगों की मदद के लिए बने वॉर रूम में काम कर रही है। उसका काम मदद के लिए आ रहे फोन उठाकर उन्हें अस्पताल बेड्स मुहैया करवाना है। मगर इसी दौरान उसे एक ऐसे व्यक्ति के परिवार से फोन आता है, जिसे वह अपने साथ हुई एक ट्रेजेडी का जिम्मेदार मानती है। यहीं से उसका द्वंद्व चालू होता है - क्या  इस मुश्किल वक्त में सारे वैर भुलाकर उस व्यक्ति की मदद करें या अपना बदला पूरा करें ? 

गीतांजलि कुलकर्णी

सिर्फ और सिर्फ गीतांजलि की वजह से व्यूअर्स का टेंशन भी संगीता के टेंशन के साथ साथ बढ़ता जाता है लेकिन कहानी का अंत पानी फेर देता है, निराश कर देता है। नतीजन व्यूअर्स द्वंद्व में हैं कि आखिर इस कदर नेगटिव फिल्म देखी ही क्यों ? 

बात करें कहानी नंबर ३ की तो यथा क्रम तथा नाम "तीन तिगाड़ा" जिसे लिटिल थिंग्स फेम रुचिर अरुण ने निर्देशित किया है, जिसमें साकिब सलीम, आशीष वर्मा और सैम मोहन प्रमुख भूमिकाओं में हैं।तीन तिगाडा तीन चोरों की कहानी है.जो लॉक डाउन की वजह से एक फैक्ट्री में चोरी के माल के साथ फंसे हुए हैं। लॉकडाउन का पीरियड किस तरह से उनके आपसी रिश्ते को अलग अलग तरह से परिभाषित करता है, दिलचस्प बन पड़ा है उनकी अपनी अपनी बैकस्टोरी के आलोक में ! छोटी सी कहानी के कई लेयर्स हैं, मैसेज भी कई हैं लेकिन किस व्यूअर ने कितने आत्मसात किए,  प्योर गेस वर्क ही हैं।  

नीना कुलकर्णी

सीरीज की चौथी कहानी है गोंद के लड्डू ! शिखा माखन का डायरेक्शन हैं और निःसंदेह  मां के प्यार की स्वीट सी  कहानी है.जो अपनी नातिन को देखने के लिए बेकरार है लेकिन कोरोना ने उसके कदम बांध दिए है। गोंद के लड्डू के ज़रिए वह अपना प्यार अपनी बेटी और नातिन तक पहुंचाना चाहती है लेकिन यह इतना आसान नहीं है।  टेक्नोलॉजी में तंग नानी किस तरह से कुरियर सर्विस की मदद लेती है और फिर साथ साथ ही फाइव स्टार की ललक में डिलीवरी ब्यॉय की भी कहानी है !  फिल्म का मैसेज बहुत ही खूबसूरत और पॉजिटिव है और दोनों कहानियों के परफेक्ट संतुलन की वजह से डिलीवर भी हो पाता है। इस संतुलन के लिए क्रिएट किये गए सारे के सारे प्रसंग लाजवाब हैं और उन्हें बखूबी उभारा भी है  दर्शन राजेंद्रन, अक्षवीर सिंह सरन और नीना कुलकर्णी जैसे कलाकारों ने !   

नागराज मंजुले

नया सफर सीरीज की आखिरी कहानी है बैकुंठ ! क्रम भी अंतिम और जीवन का पड़ाव भी अंतिम ! 'वैकुंठ’ श्मशान घाट में लाश जलाने का काम करने वाले विकास चवन की कहानी है, सिंगल पैरेंट है एक छोटे से बेटे का जो स्कूल में पढ़ता है।विकास के पिताजी कोविड-19 की चपेट में आकर अस्पताल पहुंच चुके है और इसी कारण से  उसका मकान मालिक उसे घर खाली करने को कह देता है। विकास अपने बेटे को लेकर शमशान में ही शिफ्ट हो जाता है। महामारी के दौरान अनगिनत चिताएं और नदी में बेरहमी से फेंके गए शवों की भयावह तस्वीरें आज भी लोगों की स्मृति में हैं और वैकुंठ में मनुष्य के इस कुरूप पक्ष को विशेष रूप से उजागर किया गया है।  इसके साथ ही यह फ़िल्म आशा निराशा के बीच उम्मीद को जगाती है।  जिस अस्पताल में उसके पिता ऐडमिट है, वहां से रोज एंबुलेंस कई सारी लाशें लेकर शमशान आती हैं। विकास रोज सस्पेंस भरी लाइफ जी रहा है. मगर अंत में सब कुछ अच्छा हो जाता है ! कैसे?  देखना बनता है कम से कम इस अंतिम फिल्म का भले ही और सभी चार मिस कर दी जाएँ !

फैंड्री और सैराट जैसी फिल्में बना चुके नागराज मंजुले ने इस फिल्म में विकास चवन का रोल किया है और इस फिल्म के डायरेक्टर भी वे खुद ही हैं।  एक सिंपल स्टोरी  जिस तरह से प्रसंग आते हैं, घटते हैं, सांसें रुक रुक जाती हैं !   

सीजन १ की पांचों कहानियों ने कोविड १९ से उत्पन्न हुई असाधारण परिस्थितियों को बखूबी बयां किया था ! सीजन २ के नए सफर के कांसेप्ट की भी हर एक कहानी अलग है और वास्तविकता के करीब है जो इस एंथोलॉजी सीरीज को प्रासंगिक बना जाता है और इसलिए एक दो कहानी कमतर  लगती भी है तो अखरती नहीं है। फिर साथ ही कलाकारों ने अभिनय में कोई कोर कसर भी नहीं छोड़ी है।    

Write a comment ...

Prakash Jain

Show your support

As a passionate exclusive scrollstack writer, if you read and find my work with difference, please support me.

Recent Supporters

Write a comment ...