
हालांकि विषय वस्तु भिन्न है, आगे उस पर ही आएंगे, फिलहाल बात तो कर ही सकते हैं ! आपने कब मातृ पक्ष के वंश वृक्ष को उजागर किया ? हाँ , वृक्ष में एक पायदान ऊपर जाकर अपने पिता के मातृ पक्ष के हवाले से पहचान बनाई ! आपके स्वर्गीय पिता राजीव गांधी इंदिरा जी के पुत्र के रूप में ही बताये गए, जाने गए. पिता स्वर्गीय फ़िरोज़ गांधी तो कब के गौण हो गए !
अब जब अपने स्वयं के झूठे नैरेटिव जनित मानहानि के मामले को टालने या कमतर करने के लिए अकारण ही किसी पर मैटरनल साइड के concealment का आरोप लगाया है, तो क्या सही नहीं है कि आपने तो विचारधारा की बेतुकी दुहाई देते हुए अपने चाचा के परिवार (मेनका, वरुण) से नाता तोड़ रखा है ?
वीर सावरकर के वंशज सात्यकि सावरकर की शिकायत क्या है ? उनके द्वारा राहुल पर दर्ज कराये गए आपराधिक मानहानि के दावे का आधार क्या है ? राहुल गांधी ने लंदन मे एक कार्यक्रम में कहा था कि वीर सावरकर ने अपनी एक किताब में लिखा है कि उन्होंने अपने 5-6 दोस्तों के साथ एक मुसलमान को पीटा और उस झगड़े का लुत्फ उठाया. सात्यकि का कहना है बी डी सावरकर ने किसी भी किताब में यह बात नहीं लिखी है, राहुल गांधी का बयान झूठा और दुर्भावनापूर्ण है, जो घटना वह बता रहे हैं, काल्पनिक है. वैज्ञानिक प्रवृत्ति के व्यक्ति सावरकर के जीवन में ऐसी कोई घटना नहीं घटी थी.
मातृ पक्ष के विवरण की आवश्यकता मामले की विशिष्ट परिस्थितियों और इसमें शामिल कानूनी मुद्दों पर निर्भर करती है. यहाँ मुद्दा है किताब और किताब में लिखी हुई घटना ! शिकायतकर्ता स्वर्गीय बी डी सावरकर के भतीजे का बेटा है, सो उनका पोता हुआ और इस हैसियत से वह उनका वंशज हुआ. सात्यकि के हिसाब से ना तो ऐसी कोई किताब सावरकर ने लिखी और ना ही ऐसी कोई घटना कभी घटी. राहुल गांधी ने अपनी तुच्छ राजनीति के लिए मनगढ़ंत कहानी बनाई और सुनाई.
क्या इस शिकायत के लिए सात्यकि के लिए यह बताना किसी भी दृष्टिकोण से आवश्यक था कि उनकी माता हिमानी नाथूराम गोडसे के भाई की बेटी थी और भाई भी महात्मा गांधी की हत्या के लिए दोषी सिद्ध हुआ था ? किसी भी कल्पना से परे है यह सवाल ! फिर तथ्य यही है कि गांधी जी की हत्या के बहुत पहले ही हिमानी सावरकर परिवार में बहू बनकर आ चुकी थी ! फिर सामान्य क़ानून है जो किसी भी व्यक्ति को उनके माता-पिता के अपराधों के लिए दोषी ठहराने से बचाता है. हत्या का या फॉर दैट मैटर कोई भी अपराध व्यक्तिगत होता है और इसे केवल वही व्यक्ति करता है जो उसे करता है. संविधान अपराधी के परिवार या उनसे संबंधित किसी के भी अधिकारों को कदापि कम नहीं करता है !
कहने का मतलब concealment तब होता है, जिसका बताया जाना अनिवार्य होता है. जिस बारे में जिक्र करना अनिवार्य नहीं है, नहीं किया तो संबंधित चीजें प्रभावित नहीं होती ! और यदि संबंध दूरस्थ है, तो और भी नहीं ! शुरुआत में आपसे संबंधित बातें रखने की यही वजह थी. जैसे आपके पास ऑप्शन था और है भी, सात्यिकी के पास भी है.
खैर, अब आपने सात्यिकी के मातृ वृक्ष के बारे में बता ही दिया है, देखना दिलचस्प होगा क्या न्यायालय दिलचस्पी दिखाता है इसमें ? वैसे उम्मीद तो नहीं है ! हालांकि नोटिस दिया है सात्यकि को, जिसका माकूल जवाब देना आसान ही होगा. हमारा देश तो वो है जहां ह्रदय परिवर्तन स्वयं अपराधियों के हुए हैं मसलन ऋषि वाल्मीकि, सम्राट अशोक !
ज्यादा दिन नहीं हुए जब उच्चतम न्यायालय ने वीर सावरकर के अपमान से संबंधित अन्य मामले में राहुल गांधी को आड़े हाथों लेते हुए कड़ी फटकार लगाई थी और साथ ही कहा था भविष्य में पुनरावृति की तो स्वतः संज्ञान लेकर कार्यवाही करेंगे. सख्त टिप्पणियां भी की शीर्ष न्यायालय ने मसलन क्या उन्हें पता है कि उनकी दादी ने भी स्वतंत्रता सेनानी को उनकी प्रशंसा करते हुए एक पत्र भेजा था?.......क्या महात्मा गांधी को सिर्फ इसलिए अंग्रेजों का नौकर कहा जा सकता है क्योंकि उन्होंने राज्यपाल को लिखे पत्रों में खुद को "आपका वफादार सेवक" कहा था ?.......महाराष्ट्र में उनकी पूजा की जाती है। ....!
दरअसल सुप्रीम कोर्ट का यही रुख चिंता का सबब है राहुल गांधी के लिए, उनकी लीगल टीम को लगा कि चूंकि सात्यिकी ने खुद को सावरकर का वंशज बताने के लिए पैरेंटल साइड बताई है, तो क्यों ना उन्हें मैटरनल साइड नहीं बताने के लिए इस बिना पर कठघरे में खड़ा किया जाए कि उसकी मां महात्मा गाँधी की ह्त्या के लिए कन्विक्ट हुए गोपाल गोडसे की बेटी थी ! हालांकि अंततः मुंह के बल ही गिरेंगे.
फैक्ट्स ऑफ़ द मैटर, जैसी कहानी कभी राहुल ने संसद में सुना दी थी कि फ्रांसीसी राष्ट्रपति के साथ उनकी बातचीत हुई, सुप्रीम कोर्ट के हवाले से चौकीदार चोर है बता दिया था, तो उसी प्रकार लंदन में एक काल्पनिक किताब के हवाले से सावरकर के बारे में आपत्तिजनक शब्दों में झूठ परोस दिया. इसे चैलेंज किया है सात्यिकी ने और राहुल की टीम खूब जानती है कि यही गले की फांस है, सो जितना लंबा खींच लिया जाए, येनकेन प्रकारेण खींचते चलो !
और अंत में बतौर निष्कर्ष कहते चलें हिन्दुओं में पैरेंटल साइड ही मायने रखता है, मैटरनल साइड का हवाला नहीं दिया जाता. हाँ, पूछा जाए तो गर्व से बताया जाता है. वो तो आप हैं कि खुद को हिंदू बताने के लिए मैटरनल साइड को एक्सप्लॉइट किया और पैरेंटल साइड को conceal किया ! कानूनन सात्यकि सावरकर ने कोई concealment नहीं किया !

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