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  • विनायक दामोदर सावरकर - एक अध्ययन ! विनायक दामोदर सावरकर - एक अध्ययन !

    विनायक दामोदर सावरकर - एक अध्ययन !

    सावरकर माने तेज सावरकर माने त्याग, सावरकर माने तप , सावरकर माने तत्व , सावरकर माने तर्क , सावरकर मने तारुण्य ,सावरकर माने तीर , सावरकर माने तलवार, सावरकर माने तिलमिलाहट , सागरा प्राण तळमळला  ( ओ सागर, मुझे मेरी मातृभूमि ले चल) - दिवंगत प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने परिभाषित किया था विनायक दामोदर सावरकर को ! 

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  • ख़बरें : तरस खाएं या हँसे ! ख़बरें : तरस खाएं या हँसे ! 

    ख़बरें : तरस खाएं या हँसे ! 

    खबर जयपुर के कोर्ट परिसर से हैं। २०१६ में हुई हत्या के मामले में एक निचली अदालत द्वारा सुबूत पेश करने को कहे जाने पर पुलिस ने बताया कि थाना परिसर में पेड़ के नीचे रखा सुबूतों से भरा बैग बंदर लेकर भाग गया था। बकौल पुलिस, मालखाना में जगह न होने के चलते उन्होंने हत्या में इस्तेमाल हुए चाकू समेत अन्य सुबूतों वाला बैग वहां रखा था। 

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  • “कोस कोस पर पानी बदले, चार कोस पर वाणी” वाले विशाल देश की सूत्रधार है हिंदी ; फिर भी हिंदी से नफ़रत क्यों ? “कोस कोस पर पानी बदले, चार कोस पर वाणी” वाले विशाल देश की सूत्रधार है हिंदी ; फिर भी हिंदी से नफ़रत क्यों ? 

    “कोस कोस पर पानी बदले, चार कोस पर वाणी” वाले विशाल देश की सूत्रधार है हिंदी ; फिर भी हिंदी से नफ़रत क्यों ? 

    वजह सभी जानते हैं लेकिन व्यक्त नहीं करते ! हिंदू से हिंदी…..! हाँ,  जो हम बोल रहे हैं, लिख रहे हैं, वह “हिंदी” की जगह कुछ और नाम से जानी जाती तो शायद विरोध होता ही नहीं ! 

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  • आईपीएल मैचों का घटता क्रेज कहीं क्रिकेट को ही उबाऊ ना बना दे ! आईपीएल मैचों का घटता क्रेज कहीं क्रिकेट को ही उबाऊ ना बना दे ! 

    आईपीएल मैचों का घटता क्रेज कहीं क्रिकेट को ही उबाऊ ना बना दे ! 

    माने या न मानें क्रिकेट के लिए दीवानगी कम हुई है; इंडिया का इंटर्नैशनल टी २० मैच ही क्यों ना हों, ड्राइंग रूम में तभी खेल देखने के लिए चैनल बदला जाता है जब किसी ने बताया कि मैच आखिरी ओवरों में रोमांचक हो रहा है ! वर्ना तो सिर्फ़ हार जीत का नोट भर ही लिया जाता है चूँकि कभी जबरा फैन हुआ करते थे गेम के !  

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  • प्राइम वीडियो वेब सीरीज Guilty Minds : आपराधिक मनःस्थिति (Mens Rea) बोले तो "It is essentially the mind of a human being which is guilty !"प्राइम वीडियो वेब सीरीज Guilty Minds : आपराधिक मनःस्थिति (Mens Rea) बोले तो "It is essentially the mind of a human being which is guilty !"

    प्राइम वीडियो वेब सीरीज Guilty Minds : आपराधिक मनःस्थिति (Mens Rea) बोले तो "It is essentially the mind of a human being which is guilty !"

    तो फिर इंसान को सजा क्यों ? क्या इसलिए कि वो गिल्टी माइंड उसका है ? बिल्कुल यही वजह है तभी तो as a general rule, someone who acted without mental fault is not liable in Criminal Law या लैटिन में जैसा कहा गया है -“ actus reus non facit reum nisi mens sit rea “ यानि "the act is not culpable unless the mind is guilty".

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  • अब खैर नहीं हनुमान की; पॉलिटिक्स में एंट्री ली है तो कुदृष्टि पड़नी ही है ! अब खैर नहीं हनुमान की; पॉलिटिक्स में एंट्री ली है तो कुदृष्टि पड़नी ही है ! 

    अब खैर नहीं हनुमान की; पॉलिटिक्स में एंट्री ली है तो कुदृष्टि पड़नी ही है ! 

    अचानक हनुमान ख़ास हो गए !  जिस नेता को देखो वो हनुमान को लपक रहा है ! अजब गजब सी स्थिति है ; आलम कुछ ऐसा है कि बजरंग बली को कहना पड़ रहा है - छोड़ते भी नहीं मेरा हाथ और थामते भी नहीं ; ये कैसी मोहब्बत है उनकी, गैर भी नहीं कहते हमें और अपना मानते भी नहीं ! 

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  • नेटफ्लिक्स फिल्म 'कोबाल्ट ब्लू' रिव्यू : थैंक्स टू 'बधाई दो' फॉर "कोबाल्ट ब्लू" देखने की हिम्मत जुटा पाने के लिए !नेटफ्लिक्स फिल्म 'कोबाल्ट ब्लू' रिव्यू : थैंक्स टू 'बधाई दो' फॉर "कोबाल्ट ब्लू" देखने की हिम्मत जुटा पाने के लिए !

    नेटफ्लिक्स फिल्म 'कोबाल्ट ब्लू' रिव्यू : थैंक्स टू 'बधाई दो' फॉर "कोबाल्ट ब्लू" देखने की हिम्मत जुटा पाने के लिए !

    "You and I are criminals in this country. There may be others like us. Thousands perhaps ! But who knows ….You are born this way. You are odd. In India you are a criminal. Unnatural ! The church thought so, so the queen thought so, and the British. And, once they left , we don’t know what we think. We are still governed by their laws. You and I are criminals in India. When I was your age, I grew up scared & frightened. I was caught with an American tourist, in the hotel. My father agreed, and our doctor gave me electric shocks to cure me of this illness. Six days, electric shocks. Forget about sx, it’s hard to find friends here in Kochi. As time goes on and as life goes on, you long for friendship, you become lonely. I’m hungry for friendship, companionship. We are living in a prison." 

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  • अभिषेक बच्चन स्टारर "दसवीं" ने एंटरटेनर बनने की कोशिश में एजुकेशनल वैल्यू का मजाक बनाकर छोड़ दिया !अभिषेक बच्चन स्टारर "दसवीं" ने एंटरटेनर बनने की कोशिश में एजुकेशनल वैल्यू का मजाक बनाकर छोड़ दिया !

    अभिषेक बच्चन स्टारर "दसवीं" ने एंटरटेनर बनने की कोशिश में एजुकेशनल वैल्यू का मजाक बनाकर छोड़ दिया !

    सिनेमा के दृष्टिकोण से 'दसवीं' की बात करें तो विधा के विभिन्न विषयों में से कास्टिंग ज़रूर डिस्टिंक्शन लाती है जबकि अन्य विधाएँ ख़ासकर कथानक फिसड्डी ही साबित हुए हैं; नतीजन फ़िल्म “दसवीं” फेल कर दी गई है !  और तो और , लगता है परीक्षक गण ( व्यूअर्स) ग्रेस मार्क्स देने से भी हिचक रहे हैं ! 

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  • 'मुझे भी जिद है वहीँ आशियाँ बसाने की' कहा उसने जब पूछा "कौन प्रवीण तांबे ?"'मुझे भी जिद है वहीँ आशियाँ बसाने की' कहा उसने जब पूछा "कौन प्रवीण तांबे ?"

    'मुझे भी जिद है वहीँ आशियाँ बसाने की' कहा उसने जब पूछा "कौन प्रवीण तांबे ?"

    स्पोर्ट ड्रामा बायोपिक केटेगरी की फिल्म "कौन प्रवीण तांबे ?" सही मायने में निष्कपटता से विश्वास पैदा करती है - "Never give up on your dreams, they do come true !" 

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  • Maya Menon Confesses "जलसा" क्यों कहलाई ?   Maya Menon Confesses "जलसा" क्यों कहलाई ?

    Maya Menon Confesses "जलसा" क्यों कहलाई ?

    द्वंद्वों (कन्फ्लिक्ट्स) का शॉक है, थ्रिल है और सस्पेंस भी है ! हाँ , कुछेक अनुत्तरित प्रश्न भी है मसलन मूवी का नाम 'जलसा' क्यों है ? क्लाइमेक्स भी अनुत्तरित सा ही है या कहें दुरूह है ! और यही दो बातें कमर्शियल पॉइंट ऑफ़ व्यू से फिल्म के लिए सेटबैक साबित होने जा रही है, कम से कम व्यूअर्स की फुसफुसाहट से तो यही समझ आया है ! परंतु जरूरत गहराई में जाने की है क्योंकि फिल्म ना तो सस्पेंस थ्रिलर है और ना ही कोई इनवेस्टिगेटिव पीस है ! सो कह सकते हैं फिल्म क्लास का क्लास के लिए क्लास के द्वारा है, तो पॉपुलर कैटेगरी से इतर ही कहलाएगी !      

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  • अप्रैल फूल बनाया तो उनको गुस्सा आया, तो मेरा क्या कसूर जमाने का कसूर जिसने दस्तूर बनाया ! अप्रैल फूल बनाया तो उनको गुस्सा आया, तो मेरा क्या कसूर जमाने का कसूर जिसने दस्तूर बनाया ! 

    अप्रैल फूल बनाया तो उनको गुस्सा आया, तो मेरा क्या कसूर जमाने का कसूर जिसने दस्तूर बनाया ! 

    फ़र्स्ट एप्रिल बोले तो फूल डे ! पता नहीं इसी  दिन क्यों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परीक्षा पे चर्चा की ? अनुभूति ही बदल सी गयी थी कि कहीं एप्रिल फूल तो नहीं बना रहे हैं देश के नौनिहालों को ! कुल मिलाकर 'सेट' प्रोग्राम था, 'सेट' सवाल थे छात्रों के और 'सेट' ही उनके लाजवाब जवाब भी थे ; संस्करण भी पाँचवाँ जो था ! वास्तविक समस्याएं (शिक्षा को लेकर) बताने की ना तो जुर्रत हुई और ना ही  प्रधानमंत्री ने स्वयं ही इस पर बात की ! कुल मिलाकर खुशनुमा सा माहौल था, फ़न डे सरीखा ही था तालकोटरा स्टेडियम पहुंचे छात्रों के लिए ! 

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  • "आदर्श" परोपकार क्या है ? "आदर्श" परोपकार क्या है ? 

    "आदर्श" परोपकार क्या है ? 

    ब्रेख्त की लघुकथा शायद सुनी हो पहले : -

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  • "द कश्मीर फाइल्स" का हिट होना तो रिसर्च क्वालीफाई करता है ! "द कश्मीर फाइल्स" का हिट होना तो रिसर्च क्वालीफाई करता है ! 

    "द कश्मीर फाइल्स" का हिट होना तो रिसर्च क्वालीफाई करता है ! 

    फिल्म सुपर हिट जा रही है, निर्विवाद है लेकिन कुल जमा २० करोड़ की लागत से बनी फिल्म यदि कलेक्शन के फ्रंट पर २०० पार हो जाए तो कमाई के लिहाज से उसे ब्लॉकबस्टर कहने में कोई अतिश्योक्ति नहीं है। कुल ग्यारह दिनों का बॉक्स ऑफिस कलेक्शन का ब्रेक अप यूँ हैं - 

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  • हर बात में उन्हें साजिश नजर आती है, नेता जो हैं ! हर बात में उन्हें साजिश नजर आती है, नेता जो हैं ! 

    हर बात में उन्हें साजिश नजर आती है, नेता जो हैं ! 

    दो तीन दिन पहले २० मार्च की घटना है।  धनाढ्य कारोबारी किसान नेता राकेश टिकैत को हवाई यात्रा के दौरान तब  किसी दूर की साजिश का अंदेशा हुआ जब हवाओं ने गुस्ताखियां की और प्लेन आधे घंटे तक कलाबाजियां खाता रहा ! खैर ! हम क्यों तरस खाये उनकी बुद्धिमत्ता पर ! शुक्र है भगवान का ख़राब मौसम की वजह से एयर टर्बुलेंस में  उनका दिल बैठा नहीं और वे सही सलामत निकल आये ! हाँ , चूँकि उन्होंने अपने ट्वीट में पीएमओ, सिविल एवियन्स मिनिस्ट्री और होम मिनिस्ट्री को टैग करते हुए जाँच की मांग की है , अपेक्षा है हवाओं को नियंत्रित ना रख पाने के लिए पवन देवता के खिलाफ कड़ी से कड़ी कार्यवाही की जायेगी ! 

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  • प्रोपेगेंडा कहो या आधा अधूरा सच, लोग देख रहे हैं "द कश्मीर फाइल्स" ! प्रोपेगेंडा कहो या आधा अधूरा सच, लोग देख रहे हैं "द कश्मीर फाइल्स" ! 

    प्रोपेगेंडा कहो या आधा अधूरा सच, लोग देख रहे हैं "द कश्मीर फाइल्स" ! 

    क्या कस्बे क्या ही शहर और क्या ही मेट्रो के थियेटर्स और मल्टीप्लेक्सेज, सीटीमार क्लास भी 'झुंड' में जा रही है और पिन ड्राप साइलेंस रखते हुए मसाला विहीन तक़रीबन तीन घंटे की पूरी फिल्म देख रही है ! तभी तो १२ करोड़ के  बेहद मामूली से बजट में बनी फिल्म मात्र छह दिनों में ८० करोड़ का कलेक्शन कर चुकी है और आंकड़ा  २०० करोड़ पार कर जाए तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। 

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  • Theme song of EPF interest rate cut : “निवेश सुरक्षित रहे भले ही दो पैसे कम मिले !”Theme song of EPF interest rate cut : “निवेश सुरक्षित रहे भले ही दो पैसे कम मिले !”

    Theme song of EPF interest rate cut : “निवेश सुरक्षित रहे भले ही दो पैसे कम मिले !”

    पिछले दिनों ईपीएफ की ब्याज दरें ८.५ फीसदी से घटाकर ८.१ फीसदी कर दी गयी ! किसी भी कदम या निर्णय की स्वस्थ आलोचना अपेक्षित है ताकि कदम उठाने वाला या निर्णय लेने वाला औचित्य सिद्ध कर सके और यदि ना कर सके तो अपेक्षित बदलाव करें या फिर कदम वापस खिंच लें ! 

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  • बधाई दो “बधाई दो” की पूरी टीम को जिसने बखूबी दिखाया है जो अप्राकृतिक दिखता है वो प्राकृतिक है ! बधाई दो “बधाई दो” की पूरी टीम को जिसने बखूबी दिखाया है जो अप्राकृतिक दिखता है वो प्राकृतिक है ! 

    बधाई दो “बधाई दो” की पूरी टीम को जिसने बखूबी दिखाया है जो अप्राकृतिक दिखता है वो प्राकृतिक है ! 

    “बधाई हो “ का कोई सीक्वल तो नहीं है फिर भी प्रोडक्शन हाउस जंगली पिक्चर्स की ही दोनों  “हो” और “दो”  में कॉमन है यूनिक मुद्दों का उठाया जाना ! शायद दोनों फिल्मों के लेखकों में भी कोई एक कॉमन  है। मिड एज प्रेगनेंसी का मुद्दा था बिन मांगे "बधाई हो" में जबकि बधाई मांगने वालों की "बधाई दो" एलजीबीटीक्यू कम्युनिटी की जद्दोजहद की बात करती है। कॉमन एक बात और भी है, वो है दोनों ही विषयों की बात सामाजिक और पारिवारिक ताने बाने में की गयी है चूंकि वर्जित भी तो परिवार और समाज ने ही कर रखा है !

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  • इलेक्शन रिजल्ट्स : टेक अवे होम फॉर पॉलिटिशियंस !इलेक्शन रिजल्ट्स : टेक अवे होम फॉर पॉलिटिशियंस !

    इलेक्शन रिजल्ट्स : टेक अवे होम फॉर पॉलिटिशियंस !

    बीजेपी और नरेंद्र मोदी और मजबूत बन कर उभरे हैं। ५ में से ४ राज्यों में बीजेपी की बंपर जीत का श्रेय मोदी को ही मिलना चाहिए। तमाम नाकामियों के बावजूद मोदी की लोकप्रियता का तोड़ फिलहाल विपक्ष में किसी के पास नहीं है। २०२४ के लिए ये साफ़ संकेत हैं। और इस संकेत को मोदी जी ने भुनाना चालू भी कर दिया जब कल उन्होंने कार्यकर्ताओं को जस्टिफिकेशन दिया कि विपक्षियों के मुताबिक़ यदि २०१९ की बंपर जीत के लिए २०१७ यूपी फतह वजह थी तो उसी तर्ज पर वे कहें कि बीजेपी के लिए २०२४ डन डील है !

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  • हर दिन पुरुष दिवस वाले समाज में एक दिन महिला दिवस मनाना हिपोक्रेसी ही तो है ! हर दिन पुरुष दिवस वाले समाज में एक दिन महिला दिवस मनाना हिपोक्रेसी ही तो है ! 

    हर दिन पुरुष दिवस वाले समाज में एक दिन महिला दिवस मनाना हिपोक्रेसी ही तो है ! 

    दिखावा भर है जिसे बखूबी दिखाया कार्टूनिस्ट संदीप अर्ध्व्यु ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया की "लाइन ऑफ़ नो कंट्रोल" वॉल पर ! संयोग ही था कि ७ मार्च को चुनाव हो रहे थे और अगले ही दिन ८ मार्च के दिन महिला दिवस की गूंज भी सुनाई दे रही थी ! सो सुयोग मिला और संयोग  को एक्सप्लॉइट कर लिया कार्टूनिस्ट महोदय ने ! 

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  • फिल्म झुंड रिव्यू : मास्टरपीस है लेकिन  ब्लॉकबस्टर क्या हिट भी नहीं हो पा रही है !   फिल्म झुंड रिव्यू : मास्टरपीस है लेकिन  ब्लॉकबस्टर क्या हिट भी नहीं हो पा रही है !   

    फिल्म झुंड रिव्यू : मास्टरपीस है लेकिन ब्लॉकबस्टर क्या हिट भी नहीं हो पा रही है !   

    मराठी फिल्मों में नाम है नागराज मंजुले का बतौर एक्टर , निर्देशक और प्रोड्यूसर भी ! अनपॉज़्ड : नया सफर के पाँच चैप्टरों में से एक  "वैकुण्ठ" के वैकुंठ मंजुले ही हैं जिसने व्यूअर को जहाँ एक ओर कोविड जनित वास्तविक दुःख तकलीफ से रूबरू करवाया वहीं उस दौरान उन कोरोना वारियर्स पर फोकस किया जिनकी किसी ने बात ही नहीं की थी ! वे अनाम वारियर्स हैं लाश जलाने वाले ! और तो और मंजुले ही राइटर, निर्देशक और निर्माता भी थे उस लघु कथा के ! अब "झुंड" जो आयी है उसके भी राइटर, डायरेक्टर मंजुले ही हैं , निर्माताओं के "झुंड" में भी वे शामिल है और एक्टरों में भी बतौर गेस्ट आर्टिस्ट शुमार हैं। 

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