SIR तो कानूनी है, सर को करने दीजिये !
कुल मिलाकर सारी याचिकाओं पर शीर्ष अदालत के फैसले का यही लब्बोलुआब था. अब इसमें वादी गण और तमाम विपक्षी नेता बोल बचन करें कि चुनाव आयोग को घुटने पर ला दिया, जैसा एक योगेंद्र यादव ने ट्वीट भी किया कि अब आगे का कोई भी कदम सुप्रीम कोर्ट की अनुमति से ही उठेगा, अब चुनाव आयोग की मनमानी नहीं चलेगी, कोर्ट ने नकेल लगा दी है, तो कौन रोक सकता है ? फ़ितरत है उनकी ! दरअसल इन लोगों की समस्या ही कुछ और है !