नेटफ्लिक्स टेलीविज़न सीरीज ADOLESCENCE तो हर माता पिता के लिए मस्ट वाच है !

क्राइम इन्वेस्टीगेशन के इर्द गिर्द केंद्रित साइकोलॉजिकल ड्रामा एक नेक्स्ट लेवल की स्टोरीटेलिंग है, इसलिए यूनिक है ! चूंकि लीक से हटकर क्रिएशन है तो बगैर किसी सिलसिलेवार ब्यौरे के लीक से हटकर ही कुछ बातें भर कर लेते हैं. और ये बातें यक़ीनन इंप्रेस करेंगी सबों को ! हाँ, सिर्फ दो किरदारों का जिक्र भर कर देते है - एक तो जेमी( 13 साल का स्कूल गोइंग किशोर) और दूसरे जेमी के पिता एडी मिलर ! हालांकि अन्य किरदार भी अपेक्षित प्रभाव छोड़ते है मसलन डिटेक्टिव ल्यूक, ल्यूक का बेटा, लेडी साइकॉलोजिस्ट ब्रियोनी ! 

जिक्र एक और बात का भी ज़रूरी है पिता का किरदार निभाने वाले मिलर ग्राहम इस सीरीज के को-क्रिएटर भी हैं जिनके  मन में विचार तब उत्पन्न हुआ था जब उन्होंने एक युवा लड़के के एक लड़की को चाकू मारने की घटना के बारे में सुना. फिर और भी सुना .....आज यहाँ तो कल वहां..... !  सवाल जो उनके जहन में उठे कि समाज में ऐसा क्या हो रहा है जहाँ एक लड़का एक लड़की को चाकू मार देता है? यहाँ उकसाने वाली घटना क्या है? आजकल युवा होने की दहलीज पर खड़े हमारे किशोरों के साथ क्या हो रहा है, और वे अपने साथियों, इंटरनेट और सोशल मीडिया से किस तरह के दबाव का सामना कर रहे हैं?
अब सीरीज की वे बातें कर लें जो बेतरतीब तरीके से मन में उठ रही हैं. टेलीविज़न सीरीज का आखिरी सीन जिसमें जेमी के लिए रोना-धोना होता है, स्वाभाविक सवाल मन में आता है कि क्या एक औरत को वाकई मां बनना चाहिए ? एडी मिलर के साथ खूब रोना आता है, जबकि उससे सहमत नहीं हो सकते. एक बात अच्छी तरह समझ आती है कि आज की सोशल मीडिया, बुलइंग,और जहरीली मर्दानगी की टॉक्सिक दुनिया में आप सब कुछ सही कर सकते हैं और फिर भी एक बच्चा अपनी राह खुद तय करेगा. 
एक बच्चा आपका प्रतिबिंब नहीं है ; अविश्वास के साथ आसानी से कहा जा सकता है, लेकिन यह सच है. जेमी के घर में प्यार था, उसने अपने माता-पिता के ज़रिए प्यार देखा, घर में कोई हिंसा नहीं थी, फिर भी यह सब पर्याप्त क्यों नहीं था? एक बच्चा इतनी बुरी चीजें करने में कैसे सक्षम हो जाता है? दरअसल घर पर प्यार मिलना हमेशा बच्चे को अंधेरे से नहीं बचा पाता . जेमी को स्कूल में तंग किया जा रहा था और ऐसा लगता है कि वह अपने माता-पिता से इस बारे में बात करने में सुरक्षित महसूस नहीं कर रहा था, इसलिए उसके बाद की घटनाएं बिगड़ गई .
पहले सीन में ही किशोर जेमी को गिरफ्तार किया जाता है, एक व्यूअर की हैसियत से यकीन हो चलता है कि उसने अपराध नहीं किया है, जबकि यह गलत है. आगे चलकर भलीभांति समझ में आ जाता है कि बच्चे सीधे चेहरे के साथ झूठ बोल सकते हैं, इसलिए हमें भावनाओं को छोड़ना सीखना होगा, उन्हें ध्यान से देखना होगा और सुनना होगा कि वे क्या नहीं कह रहे हैं ! इसी पॉइंट पर मुझे मेरी नानी याद आती है जो हमेशा कहती थी कि आप अपने बच्चे पर कभी भी पूरी तरह से भरोसा नहीं कर सकते. 
टीचर्स को बुलइंग की रिपोर्ट माता पिता को आवश्यक रूप से करनी चाहिए, विक्टिम की भी और दोषी की भी !  स्कूल में बदमाशी, सोशल मीडिया का दबाव और अकेलापन जो विक्टिम को खतरनाक विचार देने लगता है, इन पर अंकुश लगाया जा सकता है अगर इन चीजों की सूचना माता-पिता को दी जाए. .....ताकि बच्चा जाने कि वह अकेला नहीं है या माता-पिता उसकी ओर से लड़ सकते हैं.  

क्यों ना हम अपने बच्चों के लिए प्रार्थना करें कि वे जिस संगत में रहते हैं, उसके संबंध में उन्हें परमेश्वर द्वारा मार्गदर्शन मिले, क्योंकि बच्चे अपने माता-पिता की अपेक्षा अपने मित्रों की बात अधिक सुनते हैं !

जेमी का दोस्त रयान ऐसा दोस्त है जिसे आप अपने बच्चे को नहीं देना चाहेंगे. इसलिए नहीं कि वह स्पष्ट रूप से बुरा है, बल्कि इसलिए कि वह बुरी बातों को तार्किक बना देता है. वैसे देखा जाए तो डिटेक्टिव इंस्टा,फेसबुक पर चल रही बुलइंग के टूल इमोजी का डर्टी गेम तभी समझ पाता है जब उसी स्कूल में पढ़ने वाल उसका खुद का किशोर बेटा उससे बात करने की हिम्मत कर बताता है. कह सकते हैं इसके देवता जागे क्योंकि वह स्वयं भी बुलइंग का शिकार जो है. छोटे छोटे प्रसंग अनेकों हैं, परंतु सब के सब मैसेज देते हैं.     

"किशोरावस्था" में सोशल मीडिया एक प्रमुख भूमिका निभाता है. क्या बच्चों को 13 साल की उम्र में अपने फोन पर सोशल मीडिया तक पहुंच मिलनी चाहिए? वयस्क होने के नाते हम जानते हैं कि सोशल मीडिया विषाक्त विचारों को बढ़ाता है और खतरनाक विश्वासों को फैलाता है - फिर हम अपने छोटे बच्चों को इसके संपर्क में क्यों लाना चाहते हैं, खासकर तब जब उनका दिमाग अभी भी नाजुक है?

कई बच्चे पहचान और अपनेपन के लिए बेताब रहते हैं और वे इसे कहीं भी पा सकते हैं, यहाँ तक कि हानिकारक जगहों पर भी. माता-पिता के रूप में इस शानदार सीरीज से मिल रहे इस ज्ञान का अपने लाभ के लिए कैसे उपयोग कर सकते हैं? 

निःसंदेह जेमी और मनोवैज्ञानिक के मध्य घट रहा पूरा प्रकरण देखना वाकई दर्दनाक था लेकिन यह एक आँख खोलने वाला था. 

"किशोरावस्था" सिर्फ़ जेमी के बारे में नहीं है. यह हमारे बारे में है.  माता-पिता, शिक्षक, दोस्त और अजनबी जो बच्चों को फिसलते हुए देखते हैं लेकिन नज़रें फेर लेते हैं. 

सिनेमैटोग्राफी शानदार इस मायने में है कि जिस तरह से कैमरा एक लंबे टेक में किरदारों को फॉलो करता है, ऐसा लगता है कि हम उन्हें  फॉलो कर रहे हैं. उनकी दुनिया के अंदर, हर चीज़ और हर किसी से संबंधित मेकर्स की रचनात्मकता और प्रतिबद्धता प्रभावशाली है, अतिशयोक्ति नहीं होगी यदि कहें कि पूरी टीम ही प्रतिभाशाली है.  

सबसे बड़ी सीख क्या है ? एक बच्चे का दिमाग एक युद्ध का मैदान है. अगर आप उनके लिए नहीं लड़ रहे हैं, तो कोई और या कोई चीज़ लड़ रही है, और इसका नतीजा विनाशकारी हो सकता है.  

बात अभिनय की करें तो निश्चित ही जेमी के किरदार में किशोर ओवन कूपर को गजब की पहचान मिलेगी, आश्चर्य ही है कि ये उसका डेब्यू है. पिता के रोल में ग्राहम तो हैं ही अद्भुत ! और अंत में मुझे तो अभी भी यकीन नहीं हो रहा कि जेमी ने ऐसा किया है, मैं कल्पना कर रहा हूँ कि आगे यह दिखाया जाएगा कि वीडियो भ्रामक था या कम से कम हमें कोई अच्छा कारण तो बताया जाएगा कि उसने ऐसा क्यों किया ? 
एक और अंतिम बात , सीरीज के फर्स्ट एपिसोड में और फिर आखिरी के एपिसोड में बैकग्राउंड में गाये जा रहे दो नोट मर्म को छू छू जाते हैं. .......... The rain will fall like tears from a star...on & on.. the rain will say how fragile we are..... और .....I would rather see this world through the eyes of a child........I would rather feel alive with a childlike soul....... !     

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Prakash Jain

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