शराबबंदी में सही चीज मिलती नहीं तो गलत चीज ही न पियेंगे !

बात बिहार की है, नीतीशे राज की है ! गोपालगंज और पश्चिमी चंपारण के जिलों में पिछले दो दिनों में जहरीली शराब पीने से मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। गुरुवार को बेतिया में ८ लोगों की मौत हो गई जबकि गोपालगंज में १६ लोगों की मौत हो गई। हालांकि मौतों की वजह पर प्रशासन चुप्पी साधे हुए है और मौत की इन ख़बरों को बिहार  सरकार के मंत्री एनडीए सरकार को बदनाम करने की साजिश बता रहे हैं। 

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बयान दुर्भाग्यपूर्ण तो है ही हास्यास्पद भी है। उन्होंने कहा कि वे बार बार कहते रहे हैं कि गलत चीज पीने से इस तरह की स्थिति पैदा होगी ! तो सही चीज उन्होंने बंद ही क्यों की ? जब बंदी है तो गलत चीजें ही न बनेगी क्योंकि चीजों के मानक जो नहीं हैं ! गलत सही बननी ही है, बनानी भी है और पीने वालों को पीनी ही है फिर भले ही जान ही क्यों न चली जाए ? मर गए तो शराब क्यों बदनाम हो ? 'वो' तो बंद है तो वजह 'वो' हो ही नहीं सकती ! वजह "गलत चीज" है जिसे पी है ! शराब तो राज्य में उपलब्ध ही नहीं है तो शराब और शराबबंदी क्यों बदनाम हो ?

 बिहार में अप्रैल, २०१६ से शराबबंदी है लेकिन शायद ही ऐसा कोई दिन बीतता है जब अखबारों में शराब बरामद की जाने की खबर न बने। जाहिर है, लोग चोरी-छिपे इसे पी रहे हैं लेकिन उसे पीने से मौत नहीं होती ! तभी तो मद्य निषेध मंत्री मौतों की वजह शराब को नहीं मानते और उन्हें पोस्टमार्टम रिपोर्ट और विसरा जांच की फाइंडिंग का इंतजार है ताकि असली वजह सामने आ सके ! पता नहीं मरने वालों को कौन सी जानलेवा बीमारी थी ? 

प्रशासन की नजरों में ये मौतें संदिग्ध परिस्थितियों में हुई हैं वही परिजनों तथा ग्रामीणों के अनुसार लोगों की जान शराब पीने से गई है। वे बताते हैं, शराब पीने से ही लोगों की तबीयत बिगड़ी और बाद में मौत हो गई। दरअसल लोगों की मौत की एक बड़ी वजह उनका शराबबंदी कानून के तहत कार्रवाई होने के डर से अस्पताल नहीं जाना है ! बहुतेरों का तो अंतिम संस्कार परिजनों ने प्रशासन को बिना सूचित किए कर दिया ! कई गंभीर हुए तो उनके परिजन उन्हें अस्पताल ले गए जहां जो बच नहीं पाए आंकड़ें बन रहे हैं लेकिन मौत की वजह दीगर बीमारी ही बता दी जायेगी या निकाली जायेगी ! और ऐसा करना कोई मुश्किल काम भी नहीं हैं क्योंकि उन बेचारों को कोई न कोई शारीरिक व्याधि रही ही होगी !  

राजनीति जमकर हो रही है। जदयू कहती है जिनकी मौत लिखी थी, आनी थी सो आई और विपक्ष साजिश के तहत जहरीली शराब को वजह बता रही है ! प्रमुख विपक्षी पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के मुखिया लालू प्रसाद ने शराब से लोगों की मौत पर कहा है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार संवेदना में दो शब्द भी नहीं कहेंगे क्योंकि इससे उनके द्वारा संरक्षित शराब माफिया नाराज हो जाएगा। बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष व लालू प्रसाद के पुत्र तेजस्वी यादव ने ट्विटर पर एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा है कि बिहार में कागजों में शराबबंदी है, अन्यथा खुली छूट है। 

सच्चाई से मुंह नहीं मोड़ा जा सकता ! पांच सालों से शराबबंदी है लेकिन किसी पीने वाले ने पीना नहीं छोड़ा ! हाँ, मिडिल क्लास के पीने वालों का दारु का बजट दोगुना-तिगुना हो गया ! नीचे तबके के लोग नशे के लिए गलत चीजें पीने लगे क्योंकि वे नीतीशे राज में उपलब्ध हो रही हैं ; स्वयं सीएम स्वीकार कर रहे हैं ! जानलेवा जहरीली शराब की भट्टियां पुलिस और प्रशासन की छत्रछाया में खूब चल रही हैं, शराबबंदी है तो देसी शराब बनाने के मानक भी नहीं हैं जिसके फलस्वरूप जहर ही बन रहा है और पिया जा रहा है।  अब उसे ही "गलत चीजें" डिस्क्राइब कर शराब को क्लीन चिट दी जा रही है ! 

अच्छा तो यही होगा कि शराबबंदी खत्म हो और राजनीतिक पार्टियां, यदि वास्तव में जनता की भलाई चाहती है, तो आरोप प्रत्यारोप की राजनीति से ऊपर उठकर नशा मुक्ति अभियान पर जोर दें, लोगों को जागृत करें ! परंतु राजनीति की बिसात पर वोटों के 'खेला' में ऐसी आदर्श स्थिति की उम्मीद रखना ही बेमानी है !       

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Prakash Jain

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