बुकर प्राइज विनर 'लेखक'  गीतांजलि श्री की "रेत समाधि" बुक अश्लील लेखन बताई जाने लगी है ! 

कल तक सारा यूपी फूला नहीं समा रहा था ! 'श्री' की प्रशंसा करने की होड़ सी लगी थी ! किसी ने कहा संगम नगरी की गलियों में तपकर मैनपुरी की मैना गीतांजलि श्री ने साहित्य जगत का सोना जीता ! क्या बचपन की सहेलियां, क्या स्कूली दिनों के संगी साथी और क्या ही प्रयागराज का जिला प्रशासन ; सभी गीतांजलि श्री के संग बिताए पुराने दिनों को अविस्मरणीय बताने लगे थे ! कुल मिलाकर माहौल 'चकैय चक धूम चकैय चक धूम' ही था; 'आरा हिले छपरा हिले देवरिया हिले पर हंसी ना हिले' सरीखे घुन्ने भी खूब उचक रहे थे मानो किताब खूब पढ़ ली हो ! 

परंतु इंसान उच्छृंखल ना हुआ, रचनात्मकता का मर्ज उसे नहीं लगा, उसकी समझ को प्रदूषण ना लगे ; ना के बराबर ही है ! कहेगा लोकतंत्र है लेकिन लोकतंत्र लापता है। लब्बेलुआब यही है कि बुकर मिला तो तथाकथित समझदार इंसान ने पढ़ने की अहमकाना जहमत उठा ली और अंतर का "कौवा" कुलबुला उठा। किताब के अनेकों प्रसंग उसे अश्लील नहीं लगे क्योंकि उस 'डिजायर' के चटकारे जो आ रहे थे ! नजर किसी एक 'कौवे' की शिव पार्वती प्रसंग पर पड़ी और उसकी कथित धार्मिक भावनाएं आहत हो गयीं ! उसने कानाफूसी शुरू कर दी, गहन विमर्श के बाद कौवों ने प्रस्ताव पास किया कि गीतांजलि श्री ने अपने उपन्यास "रेत समाधि" में हिंदुओं के आराध्य भगवान शिव और पार्वती का आपत्तिजनक और अश्लील चित्रण किया है जिससे समस्त हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को गंभीर ठेस पहुंची है।  

देश में एक बहुत बड़ी लॉबी सक्रिय है और दुर्भाग्य से समय भी उसका साथ दे रहा है जिसके तहत देश के अल्पसंख्यकों को सेकंड क्लास सिटीजन बनाने के प्रयास हो रहे हैं और इस लॉबी को कौवों के इस प्रस्ताव में अपना स्वार्थ सिद्ध होता दिखा ! बस ! हाथरस का एक संदीप पाठक तैयार हुआ और उसने  'रेत समाधि' के इस चित्रण के खिलाफ स्थानीय पुलिस में शिकायत दर्ज करा दी !            

और जो नही होना चाहिए था वह हो गया  कि गीतांजलि श्री के लिए ताजनगरी में होने वाले सम्मान समारोह को रद्द कर दिया गया। आयोजकों का कहना है कि कथित पाठक ने यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्य के पुलिस प्रमुख से प्राथमिकी दर्ज करने का आग्रह किया है ; एबीवीपी के सदस्यों ने भी बीते २७  जुलाई को श्री के लिए जेएनयू शिक्षक संघ द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को विफल करने का प्रयास किया था, और तभी से कई समूह बहुत सारी समस्याएं पैदा कर रहे हैं और इस कार्यक्रम को रोकने की कोशिश कर रहे थे। 

हालांकि पुलिस ने अभी कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की है, फिर भी इस पूरे प्रकरण से लेखिका श्री स्वयं इस कदर आहत है कि वे सिर्फ इस कार्यक्रम में ही नहीं बल्कि किसी अन्य सार्वजनिक कार्यक्रम में भी भाग नहीं लेना चाहती ! 

कुछ दिनों पहले ही की बात है 'रेत समाधि' का अंग्रेजी में अनुवादित उपन्यास 'टॉम्ब ऑफ सैंड' इस साल अंतरराष्ट्रीय बुकर प्राइज प्राप्त कर हिंदी साहित्य में उम्मीद जगा गया था चूँकि किसी भारतीय हिन्दी भाषा की अंग्रेजी में अनुवादित की गई किताब को बुकर पुरस्कार पहली बार मिला था और इस बहाने साहित्यिक समाज को चर्चा में आने का मौका भी मिला ! लोगों को लगने लगा  कि हिंदी किताबों को दुनिया में पहचान मिल रही है ! अफ़सोस है यूपी की अपनी ही बेटी के खिलाफ इस कारगुजारी ने हिंदी साहित्य की आशाओं पर तुषारापात किया है।  

रेत समाधि को बुकर मिलने के बाद हिंदी की अच्छी किताबों की खोज होने लगी थी, साथ ही दूसरी भाषा में पढ़ने वाले भी हिंदी किताब ढूंढने लगे थे। अब रेत समाधि  'कौवों' के हाथ लग गयी है जिनकी साहित्यिक पैठ है ही नहीं ! कोई आश्चर्य नहीं होगा वे पुस्तक में आये वाघा बॉर्डर प्रसंग की बेतुकी और औचित्य हीन व्याख्या कर इसे सिरे से ही  राष्ट्र विरोधी करार दे दें। और तो और, उन्मुक्तता लिए हुए पुरुष नारी संबंधों का पवित्र और सच्चा विमर्श उन्हें घोर अश्लील ही लगेगा आखिर मानसिकता जो वही है। फिर शायद किसी 'हनुमान भक्त कौवे' ने किताब नहीं पढ़ी है, वरना भावनायें तो उसकी भी आहत होती -"...........हनुमान बाल ब्रह्मचारी पर भक्तों को गृहस्थ जीवन की आशीष देते हैं ............"        

एक वाजिब सवाल बनता है जिस संदर्भ पर विवाद खड़ा किया गया है, क्या वह भारतीय पौराणिक कथाओं का अभिन्न अंग नहीं  हैं ? बात शिव पुराण की हो या स्कन्द पुराण या वामन पुराण या लिंग पुराण, फिर तो, जहाँ भी है जितनी भी प्रतियां हैं, सब की चौराहों पर सार्वजनिक होली जलाई जानी चाहिए ; खजुराहो, कोणार्क, सूर्य मंदिर मोढेरा, रणकपुर जैन मंदिर राजस्थान, लार्ड शिवा विरुपक्ष मंदिर हंपी ,अजंता और एलोरा के तमाम EROTIC SCULPTURES ध्वस्त कर दिए जाने चाहिए।वो कहते हैं ना जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि ! स्वयं गीतांजलि श्री ने कहा भी है, "जिन लोगों को इन विवरणों पर आपत्ति है, वे मेरे उपन्यास की जगह हिंदू पौराणिक ग्रंथों को अदालत में चुनौती दें !" 

और हम तो यही कहेंगे महान लेखिका गीतांजलि श्री से, "कुछ तो लोग कहेंगे लोगों का काम है कहना ; तू कौन है , तेरा नाम है क्या , सीता भी यहाँ बदनाम हुई !"    

Write a comment ...

Prakash Jain

Show your support

As a passionate exclusive scrollstack writer, if you read and find my work with difference, please support me.

Recent Supporters

Write a comment ...