निज पर शासन नहीं कर पा रहे हैं, देश को कैसे अनुशासित करेंगे ? 

कथित सबसे पुरानी और महान पार्टी कांग्रेस के अध्यक्ष का चुनाव अब आसन्न है ! हर चुनाव की एक आचार संहिता होती है जिसकी कसौटी पर उल्लंघन को कसा जाता है और तदनुसार कार्यवाही होती है ! सो इस चुनाव के लिए भी आचार संहिता है, लेकिन सिर्फ़ कहने के लिए ! ३ दिसंबर को केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण के प्रमुख मधुसूदन मिस्त्री द्वारा जारी की गई विस्तृत गाइडलाइंस के मुताबिक़ किसी भी उम्मीदवार के पक्ष में प्रचार करने के पहले किसी भी विधायक दल के नेता को इस पद को छोड़ना पड़ेगा ठीक वैसे ही जैसे एआईसीसी महासचिव, प्रभारी , सचिव-संयुक्त सचिव , प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष , अग्रिम संगठन के प्रमुख, विभाग-प्रकोष्ठ के प्रमुख और सभी आधिकारिक प्रवक्ता बिना पद छोड़े किसी ख़ास उम्मीदवार के लिए या उसके ख़िलाफ़ प्रचार नहीं कर सकते । और इस आचार संहिता का मान रखते हुए ही गौरव बल्लभ, नासिर हूसेन और दीपेंद्र हुड्डा ने पद छोड़ भी दिए । 

क्योंकि चुनाव निष्पक्ष होने चाहिए और फिर आदर्श सिर्फ़ बातों में ही नहीं, वास्तविकता के धरातल पर भी उतरना चाहिए ! लेकिन गहलोत की सीनाज़ोरी ही है कि उन्होंने बिना पद त्याग किए ही खरगे जी का प्रचार शुरू कर दिया ! उन्होंने गुरुवार की रात्रि सोशल मीडिया पर विडियो संदेश जारी कर डेलिगेटेस से खरगे को जिताने की अपील की थी ! सीनाज़ोरी इसलिए कह रहे हैं कि हाईकमान ने सिर जो चढ़ा रखा है अनुशासनहीन अशोक गहलोत को ! आख़िर कुछ तो मजबूरियाँ है, क़यास भी लगते रहे हैं ! 

अब देखना है इस बार पार्टी हाईकमान गहलोत के ख़िलाफ़ ऐक्शन लेता है या नहीं ! थरूर ने माँग भी की है कि आलाकमान कार्यवाही करे ! और कल तो गहलोत का सामना राहुल गांधी से हुआ भी भारत जोड़ो यात्रा के पड़ाव बेलारी में ! उम्मीद थी राहुल वही आक्रामक रुख़ अपनाएँगे जो उन्होंने कभी मनमोहन सिंह कैबिनेट के resolution को फाड़ कर दिखाया था ! लेकिन ऐसा हुआ नहीं ! गहलोत ने यूँ दर्शाया जैसे राहुल मायने नहीं रखते ! यही लगा राहुल भी डर गए हैं गहलोत के ‘कहे ‘ के ‘मायने ‘ से ! कुछ दिन पहले ही तो कहा था, ‘ जो कहता हूँ , उसके कुछ मायने होते हैं !’ हालांकि पूछे जाने पर मधुसूदन मिस्त्री ने कह दिया कि वे मामले को देख रहे हैं !

दरअसल भारत जोड़ो यात्रा के मक़सद को पार्टी अध्यक्ष चुनाव के परिप्रेक्ष्य में गहलोत जनित राजस्थान एपिसोड ने बड़ा धक्का पहुँचाया है, खुले रूप से कोई कांग्रेसी ना बोले लेकिन वो शेर है ना मिर्ज़ा ग़ालिब का, ‘हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन दिल के ख़ुश रखने को ‘ग़ालिब’ ये ख़्याल अच्छा है !’ 

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Prakash Jain

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