अगरचे कोई दूसरा एथलीट होता, कोई बात ही नहीं होती ! चूंकि डिसक्वालिफाई विनेश हुई, तो मुश्किल हो गई ! क्यों हुई ? समझना कोई रॉकेट साइंस नहीं है ! पृष्ठभूमि ख़ालिस राजनीति है और यही देश का दुर्भाग्य है ! आजकल कोई बात तो हो, तो सब बातें होती है सिवाय काम की बात के !
नियति थी ! विनेश की खराब किस्मत थी ! ना तो कोई अंदरूनी साजिश थी और ना ही बाहरी ! क्यों ना कहें कि फोगाट के डिसक्वॉलिफिकेशन को साजिश बताना ही किसी बड़ी साजिश का हिस्सा है ? इस संदर्भ में स्वयं फोगाट परिवार जो कह रहा है, अहम् है. बबिता फोगट (विनेश की छह बहनों में से एक जो स्वयं रेसलर रही है, कई मेडल भी उसके नाम है) ने न केवल सभी थ्योरीज की धज्जियाँ उड़ा दी है बल्कि हो रही राजनीति का भी पर्दाफाश किया है.
निःसंदेह पेरिस ओलंपिक में ओवरवेट होने की वजह से डिसक्वालीफाई हो चुकी भारतीय रेसलर विनेश फोगाट के कुश्ती से संन्यास लेने के ऐलान ने देश के दुःख को और बढ़ा दिया. उनकी बहन बबीता फोगाट ने भी कहा कि हमें इस फैसले से दुख हुआ है. हम विनेश को हिम्मत देंगे कि हम सभी उनके साथ खड़े हैं. हम उससे बात कर उसे वापस मैदान में लेकर आएंगे और 2028 ओलंपिक खिलाने का हौसला देंगे.
बबीता ने कहा कि विनेश के साथ कोई साजिश नहीं हुई है. 2012 में 200 ग्राम वजन अधिक होने की वजह से वह खुद डिसक्वालिफाई हुई थी और एशियन चैंपियनशिप नहीं खेल पाई थी. पहले भी कई खिलाड़ी ओवरवेट होने की वजह से प्रतियोगिता से बाहर हुए हैं. इसमें किसी तरह की कोई साजिश नहीं है. विनेश को राज्यसभा का उम्मीदवार बनाने के भूपेंद्र हुड्डा के बयान पर बबीता फोगाट ने कहा कि “मैं हुड्डा जी से कहना चाहूंगी कि आपने अपने दस साल के कार्यकाल में कितने खिलाड़ियों को राज्यसभा भेजा? मैं भूपेंद्र हुड्डा और दीपेंद्र हुड्डा दोनों से हाथ जोड़कर निवेदन करती हूं कि आप इस परिवार को तोड़ना बंद कीजिए। परिवार को लेकर राजनीति मत कीजिए.”
पता नहीं मति भ्रष्ट नेता क्यों अंदरूनी साजिश सूंघने लगे ? सुनिये एक ऐसे ही अलंकारिक भाषाविद नेता को, "विनेश फोगाट के खिलाफ रचा गया षड्यंत्र एक न एक दिन बेनकाब होगा. ये षड्यंत्र का चक्रव्यूह टूट कर रहेगा हिंदुस्तान की सरकार कहां है? देश के खेलमंत्री कहां है ? देश के प्रधानमंत्री कहां है? सवाल गहरे है जिसका जवाब लाजमी है. कौन है जिसने हरियाणा और देश की बेटी की पीठ में छुरा घोंपा ? कौन है इस नफ़रती षड्यंत्र के पीछे? कौन है जिससे विनेश फोगाट की जीत हजम नहीं हुई ? किसका चेहरा बचाने की हुई कोशिश ? सबका पर्दाफाश होगा."
और बताएं तो फोगाट टीम के प्रोफेशनल सदस्यों मसलन फिजियो, डॉक्टर , डाइटीशियन, भारतीय ओलंपिक संघ की अध्यक्ष पी टी उषा पर अनर्गल आरोप लगाए गए मसलन उसे गलत डाइट दी गई, जान बूझ कर उसे ओआरएस दिया गया, उसके वेट कट एक्सरसाइज में कोताही बरती गई आदि आदि और ऐसा सब कुछ किया गया किसी के इशारे पर ! एक और थ्योरी प्रतिपादित की गई कि विनेश को मजबूर किया गया 50 किलोग्राम केटेगरी में खेलने के लिए !
जहां तक विनेश के 50 किलोग्राम कैटेगरी में खेलने का सवाल है, उसने स्वयं ऑप्ट किया ! विनेश ने 2016 रियो ओलंपिक में, जब उसकी उम्र 22 वर्ष थी, 48 किलोग्राम वर्ग में मुकाबला लड़ा था. हालांकि जैसे-जैसे उनकी उम्र बढ़ती गई, उनके लिए उस भारवर्ग को बनाए रखना मुश्किल होता चला गया. इसके बाद वह 50 किग्रा वर्ग में चली गईं और फिर टोक्यो ओलंपिक के समय 53 किग्रा वर्ग में आ गईं. टोक्यो में विनेश 53 किलो भारवर्ग के क्वार्टर फाइनल में पहुंची थी. फिर उन्होंने 2022 के बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स में इसी भारवर्ग में गोल्ड मेडल हासिल किया. देखा जाए तो 53 किग्रा में भी वह प्रतिस्पर्धा करने के लिए बहुत अधिक वजन कम कर रही थीं. वजन कम होने के कारण उनकी रिकवरी खराब रही और उन्हें बार-बार चोटें लगीं. इसी बीच उन्होंने भारतीय कुश्ती महासंघ (WFI) के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. लोग कहें भले ही कि विरोध की वजह से उन्हें साइडलाइन किया गया, लेकिन हक़ीक़त तो यही है कि घुटने के लिगामेंट की चोट का कारण बताते हुए उन्होंने स्वयं एशियाई गेम्स 2023 से नाम वापस लिया था. किसी को तो मौका मिलना ही था 53 किलोग्राम कैटेगरी में और यह मिला हरियाणा की ही तब उन्नीस वर्षीय प्रतिभाशाली पहलवान अंतिम पंघाल को और उसने 53 किग्रा वर्ग में कांस्य पदक जीतकर पेरिस पेरिस ओलंपिक के लिए देश को कोटा दिलाया.
मेडल जीतकर अंततः अंतिम ने ओलंपिक के लिए अपनी जगह बनाई तो उसे कैसे बलि का बकरा बनाया जा सकता था विनेश के लिए ? विनेश के पास अब ऑप्शन बचे थे 50 किलोग्राम या फिर 57 किलोग्राम ! परंतु उसने 50 किलोग्राम के साथ साथ 53 किलोग्राम के ट्रायल के लिए भी दबाव बनाया, 57 किलोग्राम का तो नाम भी नहीं लिया, जबकि उसके वास्तविक सामान्य वजन की बात करें तो आदर्श स्थिति इसी कैटेगरी की बनती थी, उसका वजन आमतौर पर 55-56 जो रहता है. उसने भाग भी लिया दोनों ट्रायल में लेकिन 53 किलोग्राम के सेमीफाइनल में वह अंशु के हाथों हार गई. सो अंततः ओलंपिक के लिए बची भी 50 किलोग्राम की कैटेगरी ही और शायद वह भी यही चाहती थी क्योंकि यही वह कैटेगरी थी जिसमें वह अपनी अपेक्षाकृत अधिक ताकत का इस्तेमाल कर सकती थी ! अमूमन सभी रेसलर ऐसा ही करते है ! सीधी बात करें तो रेसलर,जो अमूमन 56-57 किलोग्राम का है, 50 किलोग्राम की बाउट लड़े तो एडवांटेज है बशर्ते वह बिग वेट कटर हो बाउट को क्वालीफाई करने के लिए !
सो कहानी स्पष्ट हो चली कि दूसरे दिन विनेश बतौर वेट कटर फेल हुई वरना तो पहले दिन तीन तीन बाउट जीती ही थी उसने ! कही किसी की कोई साजिश नहीं ! कुल मिला कर किस्मत दगा दे गई, जबकि अथक प्रयास उसने किये, उसकी अपनी टीम भी पूरी रात साथ लगी रही ! कहने का मतलब किस्मत प्रबल है, कांस्पीरेसी थ्योरी हरगिज़ नहीं. और इस किस्मत की थ्योरी को बल मिलता है अमन सहरावत के महज दस घंटों में 4.6 किलोग्राम वेट कट कर पाने की सच्चाई से ! जबकि विनेश को तो उतने ही समय में सिर्फ 2.7 किलोग्राम वेट ही कम करना था. खूब मशक्कत भी की उसने लेकिन महज 100 ग्राम से चूक गई ! उसकी किस्मत में यही बदा था !
एक प्रश्न उठा कि भारतीय ओलंपिक संघ क्या कर रहा है ? खेल मंत्री और यहाँ तक कि प्रधान मंत्री को भी निशाना बनाया गया ! दरअसल "उन" लोगों की अक्ल पर पत्थर पड़ गए हैं या फिर उन लोगों ने खुद ही अपनी अपनी अक्ल बेच खाई है. जो भी प्रयास किये जाने थे, रियल टाइम में किये गए. स्वयं पीएम ने पी टी उषा से तत्काल बात की और उनसे इस मुद्दे पर प्रत्यक्ष जानकारी मांगी तथा विनेश की हार के बाद भारत के पास क्या विकल्प हैं, इस बारे में भी पूछा. मोदी जी ने उनसे विनेश के मामले में मदद के लिए सभी विकल्पों पर विचार करने को कहा और पीटी उषा से आग्रह किया कि अगर इससे विनेश को मदद मिलती है तो वह अपनी अयोग्यता के बारे में कड़ा विरोध दर्ज करायें. तदनुसार उसी दिन द कोर्ट ऑफ़ आर्बिट्रेशन फॉर स्पोर्ट्स(CAS) में अपील फाइल भी कर दी गई. इस बात के लिए अपील स्वीकार भी हुई कि विनेश को संयुक्त रूप से सिल्वर मेडल दिया जावे. भारत सरकार ने हरीश साल्वे और विदुष्पद सिंघानिया सरीखे सर्वोत्तम वकील लगाए, जिन्होंने तक़रीबन तीन घंटे तक चली सुनवाई के दौरान फोगट की तरफ से जोरदार दलीलें रखते हुए कहा कि इवेंट के पहले दिन विनेश का वजन निर्धारित सीमा से कम था और इसीलिए उसे खेलने का मौक़ा मिला, एक ही दिन में तीन बाउट उसने जीती, फाइनल में भी पहुंची. उसी दिन शाम को शरीर की नेचुरल रिकवरी प्रक्रिया के चलते विनेश का वजन बढ़ गया. वजन केवल रिकवरी के चलते बढ़ा. इसमें विनेश ने कोई धोखाधड़ी नहीं की है. और अपने शरीर की देखभाल करना हर एथलीट का मौलिक अधिकार है. IOA की चीफ पीटी उषा ने कहा कि इस मामले का चाहे जो भी नतीजा हो IOA विनेश फोगाट का सपोर्ट करना जारी रखेगा. उन्होंने आगे कहा कि हमें उनके शानदार करियर और कुश्ती के मैदान में उनकी अनगिनत उपलब्धियों पर गर्व है.
एक और सवाल ये भी उठाया गया कि जब विनेश की टीम को पता चला कि वेट मैंटेन नहीं हो पा रहा है तो बजाय वेट के लिए जाने के क्यों नहीं इंज्यूरी बता दी गई ? सिल्वर तो पक्का था ही ! अब कौन समझाए बेतुकों को कि इंज्यूरी के भी नियम क़ायदे होते हैं ! बाउट के दौरान हुई तो रेफ़री हैं डिक्लेयर करने के लिए ! यदि बाद में पता चली तो मेडिकल सर्टिफिकेट देना होता है ! तो क्या फेक सर्टिफिकेट दे देते ? जो भी किया जा सकता था, नियमों के अनुसार ही किया जा सकता था ; नियमों की अवहेलना कर नहीं ! और यदि कथित इंज्यूरी संदेह के घेरे में आती तो क्या फ्रॉड निरूपित नहीं होता ? यानि कुछ भी बोल दो !
निःसंदेह विनेश फोगट को सपोर्ट करना बनता है, लेकिन उसके डिसक्वालिफाई होने का ठीकरा किसी और पर तो हरगिज नहीं फोड़ा जा सकता. जापान के गोल्ड मेडल विजेता री हिगुची (जिसने हमारे अमन शहरावत को पटकनी दी ) ने भी विनेश को सपोर्ट करते हुए कहा कि वह उनका दर्द समझ सकता हैं, क्योंकि उन्हें भी तीन साल पहले टोक्यो ओलिंपिक के क्वालीफायर से केवल 50 ग्राम अधिक होने के कारण बहार कर दिया गया था. उसका ट्वीट सारगर्भित है, यदि हमारे कम अक्ल नेताओं को समझ आये तो !
कोई इन अवसरवादी राजनीतिज्ञों से और साथ ही कथित एजेंडिक पत्रकारों से पूछे कि IOA, सरकार, पीएम और क्या कर सकते थे ? नेताओं को बगैर सोचे समझे अपनी राजनीति चमकानी है और कतिपय पत्रकारों को अपने अपने शो मसलन प्राइम टाइम या 9 PM शो में सनसनी फैलाकर टीआरपी बटोरनी है ! दरअसल उन्हें विनेश फोगाट के साथ हुई दुर्भाग्यपूर्ण घटना पर उतना अफसोस नहीं है. बस पेरिस में हुए इस अभूतपूर्व वाकये पर सरकार को कैसे घेरा जाए सारा जोर उसी पर है. संसद के भीतर भी वही ड्रामा और बाहर भी वही फसाना ! मानों ओलम्पिक का आयोजन भारत सरकार कर रही हो या प्रधानमंत्री इंटरनेशनल ओलम्पिक संघ के अध्यक्ष हों ! विनेश फाइनल क्यों नहीं खेल पाई इसके प्रमाण तमाम चैनलों पर दिखाए गए. क्या उनसे पता नहीं चलता कि भारत के हाथ आते आते गोल्ड या सिल्वर खोने का जिम्मेदार कौन है ? खुद विनेश ने ही इस घटना को खेल का हिस्सा बताकर स्वीकार कर लिया है. विनेश के ताऊ द्रोणाचार्य महावीर फोगाट ने भारत सरकार का आभार भी प्रदर्शित किया है कि CAS में बहस के लिए सर्वोत्तम वकील लगाए देखना अब यही है कि CAS दूसरे दिन फाइनल के पहले पाए गए ओवर वेट की वजह से पहले दिन के लिए योग्य घोषित किये गए प्रतिद्वंद्वी को अयोग्य ठहराए जाने से कैसे और किस हद तक सहमत होती है ? दारोमदार इस पॉइंट पर रहेगा कि इवेंट के दोनों दिन वेट लिए जाने की बाध्यता के पीछे जो भी वजह है, क्या न्यायोचित है ? इंटरनेशनल ओलिंपिक कमिटी ने निश्चित ही फेडरेशन के नियमों की दुहाई दी होगी और शायद वजह भी यही दी होगी कि रिपीट वेट लिए जाने का मकसद खिलाड़ी को अपने सामान्य वेट से नीचे की केटेगरी चुनने से हतोत्साहित करना है ताकि प्रतिद्वंदियों की रियल फिजिकल स्ट्रेंथ (ताकत) में भी एकरूपता स्थापित की जा सके.
और नियमों, भले ही ठोस न हों अनुचित ही क्यों न हों, के तहत सब बंधे होते हैं. मामला कुछ "शर्तें लागू हैं" सा नहीं हुआ क्या ? अब देखिये ना इसी ओलिंपिक में भारत की 21 साल की अपना पहला ओलिंपिक खेल रही रेसलर दीपिका हुड्डा भी नियमों की वेदी पर शहीद हो गई ! क्या किसी ने बात भी की इस बारे में ? भई, क्यों करें ? वह कौन सी विनेश जैसी "पॉलिटिक्स स्टफ" है ? उसे क्वार्टर फाइनल में बराबर अंक होने के बावजूद काउंट बैक नियम के तहत हार झेलनी पड़ी. इस नियम के तहत बराबर अंक स्कोर होने पर जिस खिलाड़ी ने बाद का अंक अर्जित किया, उसे विजेता घोषित कर दिया जाता है !
खैर ! जो हुआ सो हुआ और जो होना होगा वो होगा ! दो तीन दिनों में अपील पर निर्णय आ जाएगा. निर्णय जो भी आये, विनेश की महत्ता, श्रेष्ठता किसी भी संदेह से परे है. यही नियति है, जिसे साजिश बताकर अनर्गल प्रलाप करने वाले ही सबसे बड़े साजिश कर्ता हैं और ज़रूरत उनका पर्दाफाश करने की है !
#DecodePhogatDisqualification
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