पांचों वक्त -फज्र (भोर से पहले), धुहर (दोपहर), अस्र (देर दोपहर), मगरिब (सूर्यास्त के समय), ईशा (रात के समय)- मोदी की लानत मलामत करना अब आपको शोभा नहीं देता ! इस काम के लिए आपके अनेकों बंदे हैं ही मसलन सुप्रिया है, पवन है, सुरजेवाला हैं, अभिषेक हैं और बाकी कुछ बचा तो रमेश हैं ही !
अख़बार की खबर है कि आपने बोला, “हमने तोड़ दिया मोदी का आत्मविश्वास ! हमने मोदी को साइक्लॉजिकल रूप से तोड़ दिया है !” शब्दों का चयन भयावह है, आपत्तिजनक है, और यदि कहें कि आपराधिक है तो अतिशयोक्ति भी नहीं होगी ! बात हक़ की करते हैं आप, किसने हक दिया आपको किसी की मानसिक हत्या करने का ? सुरजेवाला सरीखे हिंदी के जानकार के होते हुए भी आप “घमंड” के स्थान पर “आत्मविश्वास” शब्द का चयन क्यों कर बैठे ? आत्मविश्वास का टूटना मृत्यु के सदृश है, इंसान अपनी मौत मरता है, ठीक वैसे ही उसका आत्मविश्वास ख़ुद ब ख़ुद टूटता है ! जब उसे कोई शारीरिक चोट पहुँचाकर मारता है, वह हत्यारा कहलाता है, ठीक वैसे ही किसी के आत्मविश्वास को ललकार कर तोड़ने की बात कहकर you are mentally murdering him ! इसे पब्लिक गवारा नहीं कर सकती, चूंकि हर आदमी की साइकोलॉजी होती है, आत्मविश्वास उसकी पूंजी होती है ! आत्मविश्वास वह पूंजी नहीं है जिस पर चंद लोगों की बपौती हो ! सो भविष्य के लिए हिदायत कबूल कीजिए !
आपकी यही अतिरंजना मोदी को पुनश्च पटरी पर ला दे रही है. पूर्व में कभी आपने “हाल” की दुर्दशा का आरोप मोदी पर लगाया था, खूब स्टेज भी वैसे ही सजाया था, हाल के कथित कर्मचारियों से मिले थे जैसे आजकल आप कभी बस चालकों से तो कभी रेल मेन से तो कभी ट्रकरों से मिलते हो ! मोदी ने सीरियसली लिया आपको और आज "हाल" की उत्कृष्टता के कायल तो आप भी होंगे, किंतु राजनीतिक मजबूरी वश बोलेंगे नहीं ! कितना समय लगा मोदी को ? कांग्रेस के पूर्व के स्टैंड से हटकर जाति जनगणना का खूब राग अलाप रहे हैं आप, हालांकि अपने राज्यों में नहीं कर पाए आप ; यदि एक बार फिर मोदी आपकी बात मानकर ओल्ड पेंशन स्कीम बनाम न्यू पेंशन स्कीम के मध्य यूनिफाइड पेंशन स्कीम सरीखा कुछ जाति जनगणना पर कर डालते हैं, तो पब्लिक का भला ही होगा ना ! आपने अग्नि वीर स्कीम को मुद्दा बनाते हुए इसे स्क्रैप करने की बात की ; अब देखिये ना मोदी जी ने पचास फीसदी अग्नि वीरों की फ़ौज में भर्ती सुनिश्चित करने का मन बना लिया है ! बात महिलाओं की करें तो राजस्थान पुलिस में ३३ फ़ीसदी महिलाओं की भर्ती का प्रावधान कर दिया है ! यक़ीन मानिए कितना भी आप लोग "सरकार विपक्ष चला रही है" या "मोदी आया घुटनों पर" नैरेटिव गढ़ें और चलाएं, पब्लिक जो घटता है, जो लागू करता है, उसे ही सर आँखों पर लेगी ! फिर मोदी ने तो चुपचाप शुरुआत कर भी दी है "जिसकी जितनी भागीदारी, उसकी उतनी हिस्सेदारी" की ; हरियाणा में पर्याप्त संख्या में दलितों को, ओबीसी को, महिलाओं को टिकट देकर ! आप भले ही तत्काल विधान सभा का चुनाव जीत जाएं जाट कार्ड,पहलवान कार्ड खेलकर, मोदी दूरदर्शिता दिखा रहे हैं !
ऑन ए लाइटर नोट, आप थ्योरी प्रतिपादित कर दे रहे हैं, वे आपकी थ्योरी के अनुसार व्यवहार बदल रहे हैं ! पब्लिक आपको इसी रोल में देखते रहना चाहती है ! सत्ता मोदी की ही बनी रहेगी, आप प्रतिपक्ष के रूप में उनकी नकेल कसते रहिये, जनता भी उन्हें वोटों के मार्फ़त नियंत्रित करती रहेगी ! कुल मिलाकर जीत की स्थिति बनी रहेगी मोदी के लिए !
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