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  • प्रादा (PRADA) मेहरबान तो कोल्हापुरी चप्पल पहलवान !प्रादा (PRADA) मेहरबान तो कोल्हापुरी चप्पल पहलवान !

    प्रादा (PRADA) मेहरबान तो कोल्हापुरी चप्पल पहलवान !

    सच्चाई तो है कि वेस्टर्न लोग इंडियन कल्चर और फैशन से इंस्पायर तो होंगे लेकिन कभी मानेंगे नहीं कि उन्होंने भारतीयों से इंस्पिरेशन ली है. फिर ऐसा पहली बार नहीं हुआ है. नेहरू जैकेट से लेकर कमरबंद, पगड़ी.. स्कार्फ. सबके साथ ऐसा ही हुआ है. हमारे यहां की चीजें लेते हैं और अपना ट्विस्ट देकर बेच देते हैं. मेड इन फ्रांस और मेड इन इटली फैशन की दुनिया में बेंचमार्क की तरह देखे गए हैं. लेकिन अब वेस्टर्न मार्केट ‘मेड इन इंडिया’ चीजों से भरे पड़े हैं. वैसे दोष हम इंडियंस का भी कम नहीं है. घर की मुर्गी दाल बराबर जो समझते आए हैं.   

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  • छा जाती है चुप्पी अगर गुनाह अपने हों, बात दूसरे  की हो तो शोर बहुत होता है !छा जाती है चुप्पी अगर गुनाह अपने हों, बात दूसरे  की हो तो शोर बहुत होता है !

    छा जाती है चुप्पी अगर गुनाह अपने हों, बात दूसरे की हो तो शोर बहुत होता है !

    सवाल सुप्रीम चुप्पी पर है. सवाल कथित वरिष्ठ अधिवक्ता के उच्च न्यायालय के भ्रष्ट जज यशवंत वर्मा के खिलाफ राज्य सभा में महाभियोग प्रस्ताव के विरोध करने के निर्णय पर भी है क्योंकि राज्य सभा अध्यक्ष उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज शेखर कुमार यादव के खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाने के नोटिस पर अभी तक कार्रवाई जो नहीं की है. 

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  • AI को दोस्त बना लो, चाहो तो गर्ल फ्रेंड बना लो या अपनी थेरेपिस्ट !AI को दोस्त बना लो, चाहो तो गर्ल फ्रेंड बना लो या अपनी थेरेपिस्ट !

    AI को दोस्त बना लो, चाहो तो गर्ल फ्रेंड बना लो या अपनी थेरेपिस्ट !

    निःसंदेह अकेलापन और सामाजिक वियोग गंभीर समस्या है,  लेकिन क्या AI वास्तव में इसका समाधान हो सकता है? भावनात्मक समर्थन के लिए AI पर निर्भर रहना, जुड़ाव की झूठी भावना पैदा कर सकता है और क्या अकेलेपन की भावनाओं को और बढ़ा नहीं देगा ? ठीक है AI साथी के कुछ पहलुओं का साथ देगा, लेकिन क्या इसमें मानवीय मित्रता में निहित गहराई, सहानुभूति और आपसी समझ की कमी नहीं है?  

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  • कौन मैटरनल साइड के रेफरेंस से जाना जाता है ?कौन मैटरनल साइड के रेफरेंस से जाना जाता है ?

    कौन मैटरनल साइड के रेफरेंस से जाना जाता है ?

    वीर सावरकर के वंशज सात्यकि सावरकर की शिकायत क्या है ? उनके द्वारा राहुल पर दर्ज कराये गए आपराधिक मानहानि के दावे का आधार क्या है ? राहुल गांधी ने लंदन मे एक कार्यक्रम में कहा था कि वीर सावरकर ने अपनी एक किताब में लिखा है कि उन्होंने अपने 5-6 दोस्तों के साथ एक मुसलमान को पीटा और उस झगड़े का लुत्फ उठाया. सात्यकि का कहना है बी डी सावरकर ने किसी भी किताब में यह बात नहीं लिखी है, राहुल गांधी का बयान झूठा और दुर्भावनापूर्ण है, जो घटना वह बता रहे हैं, काल्पनिक है. वैज्ञानिक प्रवृत्ति के व्यक्ति सावरकर के जीवन में ऐसी कोई घटना नहीं घटी थी.  

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  • दुनिया में सारे देश हैं लेकिन सिवाय इंडिया के दुनिया का कोई नहीं है !दुनिया में सारे देश हैं लेकिन सिवाय इंडिया के दुनिया का कोई नहीं है !

    दुनिया में सारे देश हैं लेकिन सिवाय इंडिया के दुनिया का कोई नहीं है !

    कांग्रेस नेता जयराम रमेश से साभार लेते हुए शीर्षक रचा है. बिना किसी दुर्भावना के (without any prejudice)  उचित श्रेय उन्हें देना बनता है. दिया सो उनका स्वीकार अपेक्षित है.

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  • न्यू इंडिया का न्यू नॉर्मल है न्यू लीगल डबल स्टैंडर्ड !न्यू इंडिया का न्यू नॉर्मल है न्यू लीगल डबल स्टैंडर्ड !

    न्यू इंडिया का न्यू नॉर्मल है न्यू लीगल डबल स्टैंडर्ड !

    और अंत में, एक पढ़ा लिखा आम आदमी, जो स्वयं को अपडेट रखता है, क्या सोच रहा है ? हर ऐसे आदमी का निष्कर्ष यही है कि ख़ालिस राजनीति हो रही है.  प्रोफेसर, जो राजनीति शास्त्र ही पढ़ाते हैं, ने राजनीति ही की, वे हैं भी समाजवादी पार्टी में और उधर विजय शाह ने भी राजनीति की. ब्रीफिंग टीम की संरचना भी एक आदर्श राजनीतिक संदेश देने की कोशिश थी राष्ट्रीय स्तर के साथ साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ! परंतु भेंट चढ़ गई स्वार्थ परक तुच्छ राजनीति के !             

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  • हिंदुस्तान पाकिस्तान सीजफायर : कुछ तो है जिसकी पर्दादारी है !हिंदुस्तान पाकिस्तान सीजफायर : कुछ तो है जिसकी पर्दादारी है !

    हिंदुस्तान पाकिस्तान सीजफायर : कुछ तो है जिसकी पर्दादारी है !

    हिंदुस्तान पाकिस्तान सीज फायर चालू है, लेकिन डिजिटल और सोशल मीडिया पर हिंदुस्तान के राजनीति के दंगल के दो दिग्गज प्रतिद्वंदियों ने सीज फायर भयंकर रूप से तोड़ दिया है. कांग्रेस के किसी प्रवक्ता ने शेर सुनाया, "कुछ तो मजबूरियां रही होंगी, यूँ कोई बेवफ़ा नहीं होता " तो प्रत्युत्तर भी शेर से ही मिला और साथ ही भूले बिसरे डॉक्टर मनमोहन सिंह भी प्रासंगिक हो गए, "हजारों जवाबों से अच्छी है मेरी खामोशी, न जाने कितने सवालों की आबरू रख ली !"  

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  • 5G युद्ध तो और आगे बढ़ रहा है, सोशल मीडिया पर संघर्ष विराम कब होगा ?5G युद्ध तो और आगे बढ़ रहा है, सोशल मीडिया पर संघर्ष विराम कब होगा ?

    5G युद्ध तो और आगे बढ़ रहा है, सोशल मीडिया पर संघर्ष विराम कब होगा ?

    अजीब है ना ! युद्ध की विभीषिका में कुछ युवा अपने अंगों और जीवन का बलिदान देते हैं, अन्य युवा ट्विटर पर बैठकर बकवास करते हैं. पता नहीं क्या है मन में, परंतु लग तो यही रहा है कतिपय मीडिया चैनल, कथित अतिरंजित प्रवक्ता गण (जिनमें राजनीतिक पार्टियों के नेता है, स्वयंभू विश्लेषक हैं) पूरी तरह से युद्ध चाहते थे. निःसंदेह भारत सरकार के पास समझदार लोग हैं जो छाती पीटने वालों से प्रभावित नहीं होते. उन्होंने वही किया जो भारत के दीर्घकालीन हित के लिए सबसे अच्छा है. संदेश कड़ा और स्पष्ट गया है. अब युद्ध विराम का स्वागत है.                      

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  • कल जो भी रहा होगा, आज तो आतंक ख़त्म करने की क़वायद है !कल जो भी रहा होगा, आज तो आतंक ख़त्म करने की क़वायद है !

    कल जो भी रहा होगा, आज तो आतंक ख़त्म करने की क़वायद है !

    खूब कहा जा रहा है अमेरिका भारत के साथ है, तो कह देते हैं साथ खड़े होकर भी हमारे लिए अमेरिका और चाइना उन्नीस बीस ही हैं. चाइना पाक के साथ ठीक वैसे ही है जैसे अमेरिका भारत के साथ है. वह पाक को कहता है 'हम साथ साथ है' जबकि वह तटस्थ रह रहा है और अमेरिका इंडिया को कहता है 'हम साथ साथ है' जबकि वह भी तटस्थ रह जा रहा है. 

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  • प्राउड ऑफ़ आवर आर्मी फॉर ऑपरेशन सिंदूर बिल्कुल सही है, परंतु बगैर मोदी सरकार पर गर्व किये ऐसा कहना कितना उचित है ?प्राउड ऑफ़ आवर आर्मी फॉर ऑपरेशन सिंदूर बिल्कुल सही है, परंतु बगैर मोदी सरकार पर गर्व किये ऐसा कहना कितना उचित है ?

    प्राउड ऑफ़ आवर आर्मी फॉर ऑपरेशन सिंदूर बिल्कुल सही है, परंतु बगैर मोदी सरकार पर गर्व किये ऐसा कहना कितना उचित है ?

    वैसे कल तक तो आर्मी के साथ भी नहीं खड़े थे आप ! खड़े होते तो कम से कम सेना और सैन्य संसाधनों का मजाक उड़ाने वाले चन्नी की और अजय रॉय की भर्त्सना करते हुए कुछ काल के लिए ही उन्हें सस्पेंड कर देते !  चूंकि पूर्व में आपने ऐसा किया भी है, मणि शंकर को सस्पेंड किया था.  

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  • मंडल और कमंडल को साथ लाने में क़ामयाब होती दिख रही है बीजेपी !मंडल और कमंडल को साथ लाने में क़ामयाब होती दिख रही है बीजेपी !

    मंडल और कमंडल को साथ लाने में क़ामयाब होती दिख रही है बीजेपी !

    याद कीजिए साल 2023 में कांग्रेस ने बिहार में हुए जातीय सर्वेक्षण के बाद इस मुद्दे को ज़ोर-शोर से उठाया था, मीडिया के दफ्तरों में बैठे विश्लेषकों ने निष्कर्ष निकाल दिया था कि जातीय जनगणना के मुद्दे पर बीजेपी को भारी नुकसान होने जा रहा है. हुआ क्या था ?  बीजेपी ने एमपी, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में सभी अटकलों को खारिज करते हुए बहुमत से ज्यादा सीटें हासिल कर ली थी. तब बीजेपी ने अपने चिर-परिचित वोट बैंक के अलावा बड़ी संख्या में ओबीसी वोट भी हासिल किया था.  

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  • आप जैसों के लिए इसमें रखा कुछ भी नहीं, लेकिन ऐसा तो न कहिए कि वफ़ा कुछ भी नहीं !आप जैसों के लिए इसमें रखा कुछ भी नहीं, लेकिन ऐसा तो न कहिए कि वफ़ा कुछ भी नहीं !

    आप जैसों के लिए इसमें रखा कुछ भी नहीं, लेकिन ऐसा तो न कहिए कि वफ़ा कुछ भी नहीं !

    ऐसे संवेदनशील समय में जव्वाद शेख की गजल की दो लाइनें सियासतदानों पर खरी उतरती है. आज संकट में राष्ट्र है, राष्ट्रीय सरकार है, पीएम, गृह मंत्री, रक्षा मंत्री राष्ट्र के हैं ; राष्ट्र है तो पोलिटिकल पार्टियां हैं . विपक्ष यदि एकजुट है तो फ़िलहाल भूल जाएँ ना फलां भाजपाई है, कोंग्रेसी है, समाजवादी है या किसी अन्य गुट का है ! पॉलिटिक्स करना, खेला खेलना/करना बिल्कुल पसंदीदा शगल है नेताओं का, परंतु जब अभी एक ही पाला है, तब "खेला होबे" क्यों और कैसे ? चूंकि हो रहा है, तो यही कहा जा सकता है कहने भर को एकजुट हैं, बाकी तो  "कुत्ते की पूंछ टेढ़ी की टेढ़ी" !  

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  • साढ़े साती रिपीट हो गई है उसकी, औंधे मुंह गिरना ही है उसको !साढ़े साती रिपीट हो गई है उसकी, औंधे मुंह गिरना ही है उसको !

    साढ़े साती रिपीट हो गई है उसकी, औंधे मुंह गिरना ही है उसको !

    सरकार 3.0 है, तो उसकी साढ़े साती 2.0 होनी ही थी ! सिम्पटम्स नजर आने लगे है. एक बार फिर उसे सुप्रीम कोर्ट ने लताड़ लगाईं है. ऑन ए लाइटर नोट कहें तो लगवाई गई है, चूंकि वकील कॉमन  है ! तब भी पड़वा दी थी, अब फिर पड़वा दी है. कोर्ट ने दो टूक कहा, "इस बार सावरकर हैं, अगली बार कोई महात्मा गांधी ( जिन्होंने वायसराय को लिखे अपने पत्रों में आपका वफादार सेवक शब्दावली का इस्तेमाल किया करते थे) को भी अंग्रेजों का नौकर कह सकता है.  हम स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान बर्दाश्त नहीं करेंगे. लगे हाथों सुप्रीम कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया कि अगर भविष्य में ऐसे बयान दिए गए तो सीधे स्वतः संज्ञान लिया जाएगा.

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  • क्या सबसे बड़ा अपराध है हिंदुस्तान में हिंदू होना ?क्या सबसे बड़ा अपराध है हिंदुस्तान में हिंदू होना ?

    क्या सबसे बड़ा अपराध है हिंदुस्तान में हिंदू होना ?

    निहत्थे थे, निरपराध थे और सबसे बड़ा गुनाह उनका हिन्दू होना था !  बोल तेरा धर्म क्या है ? हिंदू है. ......गोली खा ! नेता लोग कहते रहते हैं कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता ; परंतु जब आतंकवादियों ने ( जिनका मुस्लिम होना संदेह से परे है) किसी धर्म विशेष का होने के कारण ( जो हिंदू थे) उन्हें मार दिया, तो सिद्ध हो गया ना कि आतंकवाद का धर्म होता है ! कभी भगवा आतंक बताने से, हिंदू आतंकवाद बताने से कतिपय नेताओं को गुरेज नहीं हुआ तो अब तो एक सुर में कह दो ना इस्लामिक आतंकवाद ! लेकिन सुर हमारा बनेगा, संदेह है ! वोट बैंक की स्वार्थ परक राजनीति जो है ! 

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  • हंसने हंसाने का अधिकार है, लेकिन “terms  & conditions apply" तो होनी ही चाहिए ना !हंसने हंसाने का अधिकार है, लेकिन “terms  & conditions apply" तो होनी ही चाहिए ना !

    हंसने हंसाने का अधिकार है, लेकिन “terms  & conditions apply" तो होनी ही चाहिए ना !

    हँसने हँसाने के लिए अपशब्द क्यों उवाचना ? अपशब्द या गाली क्या है तो समझने की जरूरत है कि अपशब्द बोलना या गाली देना एक व्यक्तिपरक मामला है और इसका अर्थ और प्रभाव संदर्भ और व्यक्ति पर निर्भर करता है. जबकि समूह में वस्तुनिष्ठ होना अपेक्षित है.   

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  • विक्टिम ने न्याय की गुहार क्या की, उसकी मर्जी बता दी अदालत ने !विक्टिम ने न्याय की गुहार क्या की, उसकी मर्जी बता दी अदालत ने !

    विक्टिम ने न्याय की गुहार क्या की, उसकी मर्जी बता दी अदालत ने !

    तुम्हारा रेप हुआ है. ..... इसकी तुम ही जिम्मेदार हो - ऐसा देश की एक उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति ने कह दिया ! मामले में जाएँ तो यकीन मानिए तापसी पन्नू की फिल्म "पिंक" रेप्लिकेट होती प्रतीत होती है. न्यायमूर्तियों द्वारा रेप जैसे मामलों में इस प्रकार के असंवेदनशील फैसले कॉमन हो चले हैं और आश्चर्य की बात है कि हालिया दो मामलों में उच्च न्यायालय भी कॉमन है, इलाहाबाद . हाँ, न्यायमूर्ति भिन्न ज़रूर हैं और उनका भिन्न होना भी एक बड़ी चिंता का विषय है. कहने का मतलब एक नहीं एक से अधिक जज संवेदनहीन हैं !

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  • नेटफ्लिक्स टेलीविज़न सीरीज ADOLESCENCE तो हर माता पिता के लिए मस्ट वाच है !नेटफ्लिक्स टेलीविज़न सीरीज ADOLESCENCE तो हर माता पिता के लिए मस्ट वाच है !

    नेटफ्लिक्स टेलीविज़न सीरीज ADOLESCENCE तो हर माता पिता के लिए मस्ट वाच है !

    क्राइम इन्वेस्टीगेशन के इर्द गिर्द केंद्रित साइकोलॉजिकल ड्रामा एक नेक्स्ट लेवल की स्टोरीटेलिंग है, इसलिए यूनिक है ! चूंकि लीक से हटकर क्रिएशन है तो बगैर किसी सिलसिलेवार ब्यौरे के लीक से हटकर ही कुछ बातें भर कर लेते हैं. और ये बातें यक़ीनन इंप्रेस करेंगी सबों को ! हाँ, सिर्फ दो किरदारों का जिक्र भर कर देते है - एक तो जेमी( 13 साल का स्कूल गोइंग किशोर) और दूसरे जेमी के पिता एडी मिलर ! हालांकि अन्य किरदार भी अपेक्षित प्रभाव छोड़ते है मसलन डिटेक्टिव ल्यूक, ल्यूक का बेटा, लेडी साइकॉलोजिस्ट ब्रियोनी ! 

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  • राम तुम्हें अब आना होगा, विघ्नहर्ता तुम्हें ही बनना होगा !राम तुम्हें अब आना होगा, विघ्नहर्ता तुम्हें ही बनना होगा !

    राम तुम्हें अब आना होगा, विघ्नहर्ता तुम्हें ही बनना होगा !

    हर साल राम नवमी आती है, परंतु हालिया सालों में राम नवमी थ्रेट के साथ आती है कि हिंसा या अशांति ना हो जाए ! पता नहीं क्यों एक बात घर करा दी गई है कि समुदाय विशेष राम विरोधी है इसलिए विघ्न कर्ता वही होगा ? जबकि इसी समुदाय के शायरों के कलाम सुने तो उनमें राम से जुड़ी अभिव्यक्तियां हिलोरे लेती हैं. 

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  • ईद के जायके को कड़वा कर गया वक्फ बिल !ईद के जायके को कड़वा कर गया वक्फ बिल !

    ईद के जायके को कड़वा कर गया वक्फ बिल !

    सवाल है क्या कृषि कानून के मानिंद केंद्र सरकार इसे भी वापस लेगी ?  जवाब है नहीं ! क्योंकि कृषि कानूनों का विरोध जाति से परे था, राजनीति से परे था;  जबकि वक्फ बिल का विरोध राजनीति के लिए है, चूंकि अगुआई राजनीतिक पार्टियों के नेता कर रहे हैं जिनका साथ सिर्फ और सिर्फ मुस्लिम कर रहे है. 

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  • बेरहम तो है ही, बेशर्म भी है कानून !बेरहम तो है ही, बेशर्म भी है कानून !

    बेरहम तो है ही, बेशर्म भी है कानून !

    क्या सटीक लफ्जों में बयां हुआ था अंधा कानून -  जाने कहाँ दग़ा दे-दे जाने किसे सज़ा दे-दे ; साथ न दे कमजोरों का ये साथी है चोरों का ; बातों और दलीलों का ये खेल वकीलों का ; ये इंसाफ नहीं करता, किसी को माफ़ नहीं करता ; माफ़ इसे हर खून है, ये अँधा कानून है !   

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