उसे गुमनाम योगी कहें या घोस्ट जो नेशनल स्टॉक एक्सचेंज चला रहा था ! वाकई साइकोलॉजिकल थ्रिलर का जबरदस्त प्लॉट है जिसमें सस्पेंस है, स्कैम है और साजिश भी है।नॉट एट आल सीरियसली ऑन ए लाइटर नोट कहें तो क्रिएटिव लिबर्टी लेते हुए इसमें थोड़ा ओटीटी कल्चर टाइप फ़ाउल लैंगुएज और एरोटिक वैल्यूज का तड़का लगाकर एक हिट वेब सीरीज तो बन ही सकती है !
सीरीज के फर्स्ट एपिसोड की शुरुआत हो सकती है २ दिसम्बर २०१६ से जब एनएसई के चेयरमैन अशोक चावला लिस्टिंग पर होने वाली बोर्ड मीटिंग के ठीक पहले सीईओ चित्रा से इस्तीफा मांगने का मन बना चुके हैं ! वे चित्रा के चैम्बर में जाते हैं जहां चित्रा उन्हें बताती है कि वह अपना इस्तीफा विगत रात्रि SEBI को भेज चुकी है और साथ ही उसने इस्तीफे की एक हस्तलिखित कॉपी उनको दे देती है ! चावला अवाक रह जाते हैं चूँकि वे समझ जाते हैं किसी ने पहले ही चित्रा को उसके पद से हटाए जाने की टिप दे दी थी। और फिर इस्तीफा एनएसई चेयरमैन को ही दिया जाना चाहिए था, सेबी का क्या सरोकार ?
साल २०१३ में चित्रा रामकृष्ण की नियुक्ति भी अजीब थी। और तक़रीबन साढ़े तीन साल के कार्यकाल में उनकी कार्यप्रणाली भी तिलस्मी ही थी। एनएसई का सालाना टर्नओवर औसतन ६४००० करोड़ का होता है तो कहा जा सकता है कि इसके शीर्ष बॉस सीईओ की निगरानी में रोजाना ४९ करोड़ का लेनदेन होता है। चूंकि सीईओ स्वयं कह रही है कि वे हिमालय में रहने वाले एक सिद्ध पुरुष या योगी से मार्गदर्शन लेती थीं, उनके निर्देशानुसार ही सारे फैसले लिया करती थी। तो क्या एक गुमनाम बाबा के निर्देश पर सालों एनएसई चलता रहा ?
आश्चर्य की बात है कि चित्रा के जस्टिफ़िकेशन को सेबी सरीखी नियामक संस्था, जिस पर इण्डिया के करीब आठ करोड़ इन्वेस्टर्स के हितों की रक्षा करने की जिम्मेदारी है, ने मान भी लिया कि सीईओ चित्रा रामकृष्ण के कार्यकाल में कुशासन और गैरकानूनी कामों की जो शिकायतें मिली हैं उनके लिए वह गुमनाम व्यक्ति जिम्मेदार था जो एक आध्यात्मिक ताकत था। वह जहां चाहे प्रकट हो सकता था। उसका कोई निश्चित पता और ठिकाना नहीं था। वह ज्यादातर हिमालय के पहाड़ों पर रहता था।
दरअसल सेबी द्वारा की गयी जाँच का आर्डर ही एक सनसनीखेज कहानी का जबरदस्त प्लॉट है और आश्चर्य नहीं होगा "इंस्पायर्ड बाय ट्रू इवेंट्स" एक शानदार वेब सीरीज कोई क्रिएटर बना ही दे ! वैसे बता दें स्कैम १९९२ : द हर्षद मेहता स्टोरी फेम डुओ सुचेता दलाल - देवाशीष बसु की ही हालिया किताब "एब्सोल्यूट पावर" से काफी इनपुट्स मिल जाएंगे क्रिएटर को !
एक और एंगल भी है चित्रा रामकृष्ण की कहानी में और वह है एक फाइनेंसियल स्कैम पर मीडिया की रहस्यमयी चुप्पीप्रायः मानों हिमालयन बाबा ने उसे भी मैनेज कर लिया हो, मैनिपुलेट किया हो ! साथ ही सेबी ने क्या किया साल २०१६ से जबकि चित्रा रामकृष्ण की धोखाधड़ियों और उनके बारे में लज्जाजनक तथा चौंका देने वाले तथ्यों का विस्तृत खुलासा सुचेता ने अपनी पुस्तक "एब्सोल्यूट पावर" में किया था ?
किसी एक एपिसोड की शुरुआत चित्रा के दंभी बयान से हो सकती है, " जैसा कि हम सभी जानते हैं कि शीर्ष नेतृत्व अक्सर गैर आधिकारिक तरीके से कोच, मेंटॉर और इस क्षेत्र के दूसरे वरिष्ठ साथियों से सलाह लेते हैं। यह पूरी तरह से अनऑफिसियल होता है। मेरा मामला भी ऐसा ही है। मुझे लगता है कि इस मार्गदर्शन से मुझे अपनी जिम्मेदारियों को बेहतर तरीके से निभाने में मदद मिली !"
मजाकिया कम घोस्टी नहीं है क्या ? कथित अदृश्य योगी और सीईओ की बातचीत ईमेल पर होती थी जिसकी आईडी थी rigyajursama@outlook.com (ऋगयजुसामाएटआउटलुकडॉटकॉम) ! पता नहीं चारों वेद में से अंतिम अथर्व क्यों नहीं आया इसमें ? कमाल ही है डिजिटल एरा में अद्श्य इंसान की अद्श्य मेल आईडी ! शायद भगवान् ने भी कोई मेल आईडी बना रखी होगी और कल कोई कह ना दे गॉड का मेल आया है !
इसी तथाकथित घोस्ट मेल आईडी पर एनएसई की संवेदनशील और गोपनीय जानकारियां शेयर की जाती रही थीं और तदनुसार निर्देश भी मेल पर ही आते थे। सेबी का आदेश बताता है रामकृष्ण ने इसी आईडी पर ई-मेल भेजे थे जिनमें स्टॉक एक्सचेंज के पांच साल के वित्तीय स्थिति के आकलन, डिविडेंट पे आउट रेश्यो , बिजनेस प्लान, बोर्ड मीटिंग एजेंडा, कर्मचारियों की रेटिंग और परफॉर्मेंस अप्रैजल पर दी गई सलाह जैसी जानकारी शामिल है !
इसी आईडी से रामकृष्ण को मेल मिला जिसका अनुपालन करते हुए उन्होंने आनंद सुब्रमण्यम को, जो पहले पबिलक सेक्टर की बाल्मर लारी कंपनी में मात्र १५ लाख के सालाना पैकेज पर नौकरी करते थे, साल २०१३ में नौ गुणा ज्यादा, १.३८ करोड़ रुपये के सालाना पैकेज पर सीएसओ बनाया था जबकि इस नियुक्ति से पहले यह पद था ही नहीं। इतना ही नहीं वह इस पद के योग्य भी नहीं थे। तीन सालों में रामकृष्ण उसे लगातार प्रमोशन देती रही और सुब्रमण्यम जीओओ बन गए। रामकृष्ण ने सुब्रमण्यम को हफ्ते में पांच दिन काम करने की छूट दी थी। इसमें भी वह दो दिन अपने हिसाब से तय कर सकते थे कि उन्हें काम करना है या नहीं। सुब्रमण्यम, रामकृष्ण का सलाहकार भी था। और सारा कुछ चित्रा ने घोस्ट आईडी से समय समय पर मिले मेलों के अनुपालन में किया !
पिछले दिनों ही इस मामले में सुचेता दलाल ने ट्वीट कर फाइनेंस मिनिस्टर निर्मला सीतारमण से वाजिब सवाल पूछा था ! मात्र ५९ वर्षीया चार्टर्ड अकाउंटेंट चित्रा रामकृष्ण एनएसई से इसके स्थापना के साल १९९१ से किसी न किसी महत्वपूर्ण रोल में जुड़ी हुई थी। वे तब डिप्टी एमडी हुआ करती थीं जब रविनारायण उनके कार्यकाल के पहले एमडी-सीईओ थे। हाँ , वे पहली महिला एमडी सीईओ थीं तभी तो फोर्ब्स वीमेन लीडर २०१३ के खिताब से उन्हें नवाजा गया था। एनएसई में अनियमितताओं की सुगबुगाहट रविनारायण के काल से ही शुरू हो चुकी थी और तब सेबी के सर्वेसर्वा दामोदरन की मानें तो दोनों यानी चित्रा भी राडार पर थीं। सो चित्रा के राइज की कहानी नब्बे के दशक से शुरू होती है जिसका पीक था २०१३ में परन्तु २०१६ आते आते उनका बड़ी तेजी से पतन हो गया !
लेकिन हास्यास्पद ही है या कहें तो मिस्ट्री है कि फरवरी २०२२ में सेबी कहती है कि पिछले २० वर्षों से, वह एक अज्ञात 'हिमालयी योगी' को महत्वपूर्ण निर्णयों पर सलाह देने की अनुमति दे रही थी। उसने उसके आदेशों का पालन किया और वह उससे कह रहा था कि वह सेशेल्स की यात्रा की योजना बना रहा है। उसने उसके ई-मेल पते से उसके कई आदेशों का पालन किया। इस प्रक्रिया में, उसने दिन-प्रतिदिन के कार्यों से संबंधित प्रमुख व्यावसायिक रहस्यों को लीक किया।
सेबी ने जाँच २०१६ में तब शुरू की थी जब सुब्रमण्यम की अनियमित नियुक्ति पर शोरशराबा मचा।एनएसई ने २०१८ में सेबी को लिखे अपने पत्र में कहा था, ‘उसके कानूनी सलाहकारों ने मानव मनोविज्ञान पर काम करने वालों से संपर्क किया था जिनका मत था कि रामकृष्ण का शोषण सुब्रमण्यम ने ऋग्याजुरसमा के नाम से एक अलग पहचान बनाकर किया है, ताकि वह अपने मन के मुताबिक उनसे काम करा सके। एनएसई का स्पष्ट मत था रामकृष्णा से इसी आदमी ने पहचान बदल-बदल कर धोखाधड़ी की। पहले वह सुब्रमण्यम के नाम से उसका विश्वासपात्र बना और दूसरे रूप में वह ऋग्याजुरसमा था जिसकी वह भक्ति करती थी और फैसले के लिए निर्भर थी। एनएसई का दावा है कि घोस्ट ई-मेल आईडी वह वास्तव में सुब्रमण्यम की थी क्योंकि सुब्रह्मण्यम ने स्वीकारा है कि वह इस अद्श्य शक्ति के संपर्क में गत २२ वर्षों से था। साथ ही, वह सीईओ और ‘योगी’ के बीच हुए सभी ई-मेल को पढ़ता था।
सेबी ने फेस सेविंग एक्सरसाइज ही की थी जब मई २०१९ में एनएसई को सिक्योरिटीज मार्किट से छह महीने के लिए बैन कर दिया था। रवि नारायण और चित्रा रामकृष्ण पर भी कई पाबंदियां लगाईं थीं।
सवाल कई अनुत्तरित ही हैं मसलन सेबी ने अपनी जांच में यह नहीं बताया है कि इस स्कैम से एनएसई को कितना नुकसान पहुंचा ? उसने यह भी नहीं बताया है कि इस स्कैम से कुछ खास लोगों ने देश के सबसे बड़े एक्सचेंज पर शेयरों की खरीद-फरोख्त में हिस्सा लेकर पैसे बनाए थे या नहीं ? क्या इस घाटोले का असर देश के करोड़ों इन्वेस्टर्स पर पड़ा था? तथाकथित योगी से जु़ा ईमेल अकाउंट किसका था ? अगर सेबी इन सवालों का जवाब भी अपनी जांच रिपोर्ट में देता तो लोगों को उसकी जांच और देश के सबसे बड़े एक्सचेंज के कामकाज के तरीके पर भरोसा बना रहता।
तो फिर सेबी ने किया क्या ? रामकृष्णा पर ३ करोड़, २-२ करोड़ रुपये रवि नारायण और सुब्रमण्न पर और छह लाख रुपये का जुर्माना एनएसई के तात्कालीन चीफ रेगुलेटरी अफसर और चीफ कंप्लायंस अफसर वी आर नरसिम्हन पर लगाकर मानों अपने कर्तव्य का निर्वाह कर लिया !
अब जब सीबीआई पिक्चर में आ गयी है, चित्रा रामकृष्ण, रवि नारायण , सुब्रह्मण्यन आदि से पूछताछ कर रही हैं , रेड मार रही हैं, केस बुक कर रही हैं, तमाम मीडिया में ख़बरें आ रही हैं लेकिन हैडलाइनर्स अब भी नहीं बना रहे हैं। माहौल चुनावी जो है और इस मामले को राजनेताओं ने मुद्दा भी तो नहीं बनाया है। और आम जनता का तो कप ऑफ़ टी है ही नहीं चूंकि हाईफाई स्कैम जो है, पल्ले तभी पड़ेगा जब राजनेताओं के पल्ले पड़े और वे मुद्दा बनाएं !
निष्कर्ष स्पष्ट है कि सुब्रह्मण्यन ही मास्टरमाइंड है, वही बाबा है ! तो है ना सुपर हिट कंटेंट "स्कैम १९९२ : द हर्षद मेहता स्टोरी" की तर्ज पर आगामी सुपर हिट वेब सीरीज का ! मेन स्टोरी के इर्द गिर्द स्टोरी लाइनों का खाका अब खुद ब खुद खिंचता चला जाएगा ; ज़रूरत सिर्फ़ अच्छे डेवलपर की है ! शुरुआत हो चुकी है, खुलासा हुआ है कि सिद्ध पुरुष ने चित्रा को टैक्स हेवेन सेशेल्स आने का निमंत्रण दिया था जहाँ समुद्री तट भी शानदार है स्वीमिंग के लिए ! एक बात और , यदि वेब सिरीज़ बनी तो श्रेय एक बार फिर कपल सुचेता दलाल और देबाशीष बसु को भी जाना बनता है !
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