ऐसा क्या कर दिया राजदीप सरदेसाई ने कि पब्लिकली माफ़ी मांगने लगे ?

हालांकि अनेकों बार साक्षात्कारकर्ता की हैसियत से माफ़ी मांगी है उन्होंने गणमान्य अतिथि से कभी ग़लत या औचित्य हीन या संदर्भ हीन सवाल पूछने के लिए तो कभी अवांछित धृष्टता के लिए. परंतु इस बार ट्विटर पर किसी साक्षात्कार के लिए सार्वजनिक माफ़ी मांगना उनका एजेंडा है, तटस्थता तो कदापि नहीं ! ज़िक्र करें तो पूर्व में महामहिम स्वर्गीय श्री प्रणव मुखर्जी से माफ़ी माँगी थी और एक बार तो उन्हें टेनिस प्लेयर सानिया मिर्जा से भी माफ़ी माँगनी पड़ी थी ! दरअसल विषयांतर करने, संदर्भ से परे हटकर व्यंग्यात्मक टिप्पणी करने की आदत से वे मजबूर हैं तभी तो मुकेश अंबानी ने ये कह कर शर्मसार कर दिया था राजदीप को कि वे उन्हें सीरियसली नहीं लेते.

पिछले कई दिनों से सरदेसाई अपने मीडिया हाउस के लिए एक घुमक्कड़ प्रोग्राम #ElectionOnMyPlate कर रहे हैं. वे तटस्थता या निष्पक्ष होने का दावा ज़रूर करते हैं लेकिन उनके डिस्कोर्स से झुकाव स्पष्ट झलकता है. शायद इंडिया टुडे-आजतक मीडिया हाउस ने उन्हें रख ही रखा है बैलेंसिंग के लिए चूंकि गोदी मीडिया जो कहलाने लगे है. जगजाहिर है कि सरदेसाई की हर प्रस्तुति एंटी बीजेपी एंटी मोदी का कोण लिए होती है,  

अपने इसी घुमंतू शो के तहत ही वे रेसलर फेडरेशन के विवादास्पद शख्स बृज भूषण सिंह के पास पहुँच गए. उनका साक्षात्कार लिया सो लिया साथ ही बड़े ही याराना अंदाज में सिंह के साथ पंजा लड़ाते फोटो शूट भी करवा लिया और फिर खुद ही ट्वीटिया भी दिया. दरअसल जब एक पत्रकार निष्पक्ष नहीं होता, उसके मन में चोर होता है और यही सरदेसाई के साथ हुआ. उन्हें एहसास हुआ या एहसास कराया गया, ये तो वे ही जाने ; परंतु बेवजह ही सफाई देने लगे. अपने राजनीतिक आका को खुश जो करना था. सो "यह बहुत खराब फॉर्म में था" कहते हुए  टीवी पत्रकार राजदीप सरदेसाई ने बृज भूषण सिंह के साथ अपनी 'आर्म रेसलिंग' तस्वीर पर हंगामे के बाद माफी मांग ली और लंबी चौड़ी सफाई भी दे डाली.
चूंकि इससे पहले, शिवसेना (यूबीटी) नेता प्रियंका चतुर्वेदी ने पत्रकार बृजभूषण सिंह के पोस्ट को लेकर उन पर निशाना साधा था. “पत्रकारों को उत्पीड़न के आरोपियों का साक्षात्कार लेने की आवश्यकता क्यों महसूस होती है?" उन्होंने सरदेसाई की तस्वीर और कैप्शन को दोबारा पोस्ट करते हुए पूछा था. 

सवाल है क्या सफाई देनी ज़रूरी थी ? उत्तर है यदि वे निष्पक्ष होते, तो कदापि नहीं ! सफाई देकर, माफ़ी मांगकर तो उन्होंने अपनी राजनीतिक निष्ठा सिद्ध ही कर दी. वरना एक फोटो ही तो थी संग में ! यदि अछूत था तो इंटरव्यू ही ना करते ! फिर आपसे बेहतर सेलेक्टिव कौन हो सकता है ? ऐसी माफ़ी मांगने की तब तो ज़रूरत  महसूस नहीं हुई थी जब उन्होंने मुख्तार अंसारी सरीखे दुर्दांत अपराधी का इंटरव्यू लिया था और साथ ही उसकी मेहमान नवाजी  के कसीदे भी पढ़े थे.       

वैसे राजदीप को सीरियसली क्यों लें ? कभी मुकेश अंबानी ने उनके मुंह पर ही कह दिया था कि ये राजदीप को सीरियसली नहीं लेते. तब राजदीप शर्मसार हुए थे और झेंपते हुए उन्होंने मुख मोड़ लिया था. आज भी वे माफ़ी की आड़ में मुख ही मोड़ रहे हैं. दरअसल सीधी बातें वे कर ही नहीं सकते, हर विवेचना में वे कुटिल संयोजन डाल ही देते हैं . उनके एक हालिया ट्वीट का ही स्टाइल समझिये , " सही दिमाग वाला कोई भी व्यक्ति यह बेतुका (और खतरनाक) दावा क्यों करेगा कि 26/11 के आतंकवादी हमले के दौरान आरएसएस से जुड़े एक पुलिस अधिकारी ने हेमंत करकरे की हत्या कर दी थी, जब तक कि कांग्रेस नेता विजय वड्डेतिवार अपनी ही पार्टी को शर्मिंदा नहीं करना चाहते थे? ऐसे समय में जब महाराष्ट्र 2024 का महत्वपूर्ण स्विंग राज्य बना हुआ है, उज्ज्वल निकम और भाजपा के लिए फुलटॉस !"  यदि वे निष्पक्ष होते तो तटस्थता से कहते कि कांग्रेस के नेता को आज शहीद हेमंत करकरे को लेकर ऐसी बेतुकी टिप्पणी नहीं करनी चाहिए थी और पार्टी को इसके लिए उनसे सफाई मांगनी चाहिए.

राजनीति नेताओं को करने दीजिये, फुलटॉस है या नहीं है, पार्टियों को लड़ने दीजिये ; आप पत्रकार हैं, पत्रकारिता तक ही रहें , त्वरित प्रतिक्रिया क्यों देनी ? परंतु कथित वरिष्ठ पत्रकार की वास्तविकता अन्यथा है. एक पोस्ट ने सिर्फ इसलिए माफ़ी मांगने के लिए आपको मजबूर कर दिया चूंकि आपके पोलिटिकल आकाओं को नापसंद था. कोई कहेगा भी या नहीं , "पत्रकारिता खतरे में हैं !"  आपने तो चैनल के प्राइम टाइम शो में अब तक कई आरोपियों का इंटरव्यू लिया है, कब अफ़सोस हुआ आपको ? अब ऐसा लगता है कि बृजभूषण सिंह भाजपा से होने के नाते आपको अफसोस है कि आपने उनका साक्षात्कार लिया ! 

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Prakash Jain

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