फ़र्स्ट एप्रिल बोले तो फूल डे ! पता नहीं इसी दिन क्यों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने परीक्षा पे चर्चा की ? अनुभूति ही बदल सी गयी थी कि कहीं एप्रिल फूल तो नहीं बना रहे हैं देश के नौनिहालों को ! कुल मिलाकर 'सेट' प्रोग्राम था, 'सेट' सवाल थे छात्रों के और 'सेट' ही उनके लाजवाब जवाब भी थे ; संस्करण भी पाँचवाँ जो था ! वास्तविक समस्याएं (शिक्षा को लेकर) बताने की ना तो जुर्रत हुई और ना ही प्रधानमंत्री ने स्वयं ही इस पर बात की ! कुल मिलाकर खुशनुमा सा माहौल था, फ़न डे सरीखा ही था तालकोटरा स्टेडियम पहुंचे छात्रों के लिए !
अब कार्टूनिस्ट साजिथ कुमार हैं और फर्स्ट अप्रैल भी है तो इस बार टारगेट हुआ "परीक्षा पे चर्चा" ! यदि सवाल जवाब का दौर सेट ना होकर स्वतः स्फूर्त होता तो कर्नाटक और देश के अन्य हिस्सों में सांप्रदायिक माहौल के परिपेक्ष्य में कोई भुसकोल( बिहार के छात्र समझ पा रहे होंगे - भुसकोल विद्यार्थी के गत्ता मोठ) टाइप विद्यार्थी पीएम से पूछ ही बैठता - "Sir , I don't get this division and subtraction by hate ........! "
एक अन्य कार्टूनिस्ट हैं मंजुल Vibes of India के परम अभिज्ञ ! पता नहीं उनकी अनुभूति कब सिरहन में बदल गई जिसे कार्टून में झलका दिया उन्होंने - Very important day ...... I celebrate it as अच्छे दिन दिवस ! आखिर मोदी जी ने २०१४ में प्रधानमंत्री चुने जाने से पहले ‘अच्छे दिन’ का वादा जो किया था !
फेमस कार्टूनिस्ट सतीश आचार्य जी ने जब बाबा रामदेव को बढ़ते पेट्रोल डीजल के दामों पर पूछे गए सवाल पर एक पत्रकार को धमकाते हुए सुना, उनसे रहा नहीं गया क्योंकि उन्होंने बाबा को इंडिया टीवी पर रजत शर्मा की "आप की अदालत" में जनवरी २०१४ में बड़ी बड़ी डींगे हांकते सुना था कि मोदी आएंगे तो ३५ रुपये प्रति लीटर पेट्रोल मिलेगा और ३००-४०० रुपये में गैस सिलिंडर भी मिलेगा ! और आचार्या की सिरहन मोदी मार्ग पर योग करते बाबा रामदेव के कार्टून में झलक आई !
और बोले तो कीर्तिश भट्ट के कार्टून ने तो सही मायने में अप्रैल फूल मनवा दिया जब उन्होंने फ्यूल के दामों में बढ़ोतरी के अलावा पूरे भारत में टोल की कीमतों में इजाफे को भी लपेटे में ले लिया। कार्टूनिस्ट ने एक भिखारी को पैसे मांगने से झिझकते हुए दिखाया है यह कहते हुए कि "पेट्रोल तो था ही अब तो टोल भी महंगा हो गया। मुझे तो अब इस बेचारे(मिडिल क्लास) से मांगने में भी संकोच होने लगा है !"
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